कार आज के समय मे लक्जरी नहीं जरूरत बन चुकी है। लेकिन, इसे खरीदने का खर्च इतना ज्यादा है कि ज्यादातर लोग इसे कार लोन की सहायता से खरीदते हैं। अगर आप भी लोन लेकर कार खरीदना चाहते हैं तो कुछ नुस्खे जान लीजिए, जिनसे सौदा भी अच्छा पट सकता है और कार लोन भी सस्ता पड़ सकता है।
लोन ऑफर की तुलना करें: सबसे पहले तो जितने भी बैंकों और फाइनेंस कंपनियों के कार लोन ऑफर मिल सकते हैं, सबको साथ लेकर बैठ जाइए और तुलना कीजिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो अच्छा सौदा पाने से चूक सकते हैं। हरेक कर्जदाता की ब्याज दर और कर्ज की मियाद अलग-अलग हो सकती है। कर्ज की कुल लागत पर इन दोनों का बहुत असर पड़ता है।
उदाहरण के लिए कोई कर्जदाता आपको कम ब्याज दर पर कर्ज दे सकता है मगर हो सकता है कि कर्ज चुकाने में उसकी शर्तें बहुत सख्त हों। दूसरे बैंक या कंपनी की कर्ज लौटाने की शर्तें नरम हो सकती हैं मगर उसकी ब्याज दर ज्यादा हो सकती है। इन सब का आकलन से आपको पता चल सकता है कि आपको कितना कर्ज मिल सकता है और कहां से कर्ज लेना आपके लिए सही होगा।
अलग-अलग कंपनियों और बैंकों से मिलने वाले कर्ज की तुलना करें तो कम ब्याज पर कर्ज पाने के साथ ही आप कंपनी से आसान शर्तों के लिए मोलभाव भी कर सकते हैं। कुल मिलाकर कर्ज पूरा होने तक आपकी अच्छी खासी बचत हो जाएगी। डीलर के यहां मिल रहा कार लोन आपके लिए सहूलियत भरा हो सकता है, क्योंकि आपको इसके लिए भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ती। मगर हो सकता है कि आपको उनके पास से सबसे अच्छी शर्तों पर कर्ज न मिल पाए।’ हो सकता है कि आपको ज्यादा ब्याज पर कर्ज मिले, क्योंकि बैंक डीलर को भी कमीशन देता है।
कितना डाउन पेमेंट सही: डाउन पेमेंट काफी कम हो सकता है और कई बार तो कार की ऑन-रोड कीमत का केवल 10 फीसदी हो सकता है। लेकिन जितना ज्यादा डाउन पेमेंट कर पाएं उतना अच्छा है। कम डाउन पेमेंट वाले ऑफर आपको अच्छे लग सकते हैं मगर इसमें आपको ईएमआई ज्यादा चुकानी पड़ सकती है और कुल मिलाकर ब्याज ज्यादा हो सकता है।
मान लीजिए कि कार 10 लाख रुपए की है और आपको 10 फीसदी डाउन पेमेंट चुकाना पड़ता है यानी आप 1 लाख रुपए देते हैं। उस सूरत में पांच साल के लिए आपकी ईएमआई 18,249 रुपए बनेगी और बतौर ब्याज आप 1,94,925 रुपए चुका डालेंगे। अगर आप डाउन पेमेंट बढ़ाकर 20 फीसदी यानी 2 लाख रुपए कर देते हैं तो ईएमआई घटकर 16,221 रुपए रह जाएगी और कुल 1,73,267 रुपए ब्याज जाएगा।
लोन की मियाद कम रखें: कार खरीदने वाले अक्सर छह या सात साल जैसी लंबी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं, जिससे उनकी ईएमआई कम रकम की बनती है और उसे चुकाना उनके लिए आसान होता है। हालांकि इस तरह से आपको कार खरीदना आसान लग सकता है मगर आप ज्यादा ब्याज चुकाते हैं। कर्ज 36 या 48 महीने जैसी कम मियाद का हो तो आपकी ईएमआई बड़ी हो सकती है मगर आपकी जेब से ब्याज काफी कम जाएगा।
ध्यान रहे कि कार आपके मकान की तरह नहीं है और इसकी कीमत लगातार घटती रहती है, इसलिए खरीदते समय भी इस पर बहुत ज्यादा खर्च करना समझदारी नहीं।
पुरानी कार एक्सचेंज करना कितना सही: एक बड़ा सवाल यह भी रहता है कि पुरानी कार बेच दी जाए या एक्सचेंज ऑफर में देकर नई कार ले ली जाए। हालांकि एक्सचेंज में सहूलियत तो रहती है मगर अक्सर पुरानी कार की सही कीमत नहीं मिल पाती। इसलिए पुरानी कार खुद ही बेचना बेहतर रहता है। अंत में यह जरूर देख लें कि जो मॉडल आप ले रहे हैं, उसकी रीसेल वैल्यू कितनी है। यदि रीसेल वैल्यू अच्छी होगी तो उसे बेचकर अगली गाड़ी लेते समय आपको कर्ज कम लेना पड़ेगा।
एआर हेमंत बैंकबाजार के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट (कम्युनिकेशंस) हैं। हेमंत के पास बिजनेस पत्रकारिता और पब्लिक रिलेशन का दो दशकों से अधिक का अनुभव है। हेमंत बैंकबाजार के संस्थापक आदिल शेट्टी के साथ मिलकर पर्सनल फाइनेंस पर चर्चित पुस्तक ‘द बी, द बीटल एंड द मनी बग’ लिख चुके हैं।