मुंबई। वेदांता डीमर्जर (Vedanta demerger) की राह देख रहे निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने खुद इसके बारे में बड़ा अपडेट दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वेदांता का डीमर्जर कब तक हो जाएगा। अग्रवाल ने उम्मीद जताई कि डिमर्जर के बाद हिन्दुस्तान जिंक 100 अरब डॉलर की कंपनी बन सकती है।
अग्रवाल ने वेदांता के डीमर्जर को लेकर आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सब काम पूरा हो गया है। हमें ज़्यादातर ऋणदाताओं से अनुमोदन मिल गए हैं। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक वेदांता ग्रुप छह लिस्टेड कंपनियों के रूप में डीमर्ज हो सकता है। वेदांता समूह की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है।
अनिल अग्रवाल ने कहा, ‘हमें सबसे बड़े एकीकृत एलुमिनियम उत्पादक के रूप में अपनी स्थिति पर पूरा विश्वास है। हम भारत के उत्तरपूर्व में अपनी तेल एवं गैस अन्वेषण परियोजनाओं को लेकर बेहद उत्सुक हैं।’
स्टील कारोबार को लेकर अग्रवाल ने कहा कि वेदांता झारखण्ड में अपनी स्टील सम्पत्ति के संभावी खरीदार के साथ बातचीत की अग्रिम स्थिति पर है। कंपनी ने सम्पत्ति की सामरिक लोकेशन और भारत के स्टील बाज़ार में मांग एवं आपूर्ति के बीच के अंतर को देखते हुए अपने 3.5 मिलियन-टन स्टील प्लांट के लिए 4.2 अरब डॉलर का मूल्य तय किया है।
वेदांता डीमर्जर के बाद समूह की फ्लैगशिप कंपनी कौन होगी?
वेदांता डीमर्जर के बाद हिन्दुस्तान जिंक समूह की फ्लैगशिप कंपनी होगी। ज़िंक कारोबार को लेकर उत्साह जताते हुए अग्रवाल ने कहा ‘हम दुनिया में ज़िंक के एकमात्र सबसे बड़े उत्पादक हैं। बहुत जल्द हिंदुस्तान जिंक 100 अरब डॉलर की कंपनी हो सकती है।
समूह की वित्तीय स्थिति पर बात करते हुए अग्रवाल ने कहा कि वेदांता लिमिटेड के कर्ज स्तर को मैनेज किया जा सकता है, क्योंकि कंपनी पर कुल कर्ज मुनाफ़े से 1.5 गुना कम है। उन्होंने कहा कि कोनकोला कॉपर माइन्स में इक्विटी डाइल्यूट करने की कोई योजना नहीं है और कंपनी का नकद प्रवाह एवं लाभांश ऋण भुगतान का प्रबन्धन करने के लिए पर्याप्त हैं।
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