Toll tax: सरकार ने अर्बन टोल पॉलिसी में बदलाव पर विचार करना शुरू कर दिया है। नई टोल नीति में दैनिक उपयोगकर्ताओं और टोल प्लाजा के आसपास रहने वालों के लिए रियायती टोल शुल्क की सुविधा शामिल हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, नई नीति में “उपयोग और दूरी” पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इसका मतलब है कि जो लोग हाईवे का अधिक बार इस्तेमाल करते हैं या टोल प्लाजा के पास रहते हैं, उन्हें कम टोल चुकाना होगा।
यह बदलाव उन लोगों के लिए बड़ी राहत होगी जो रोजाना हाईवे का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि कामकाजी लोग और स्कूली बच्चे। साथ ही, टोल प्लाजा के आसपास रहने वाले लोगों को भी राहत मिलेगी, जिन्हें बार-बार टोल देना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए मंथली पास जैसी व्यवस्था शुरू की जा सकती है।
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हालांकि, यह नई नीति कब लागू होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि यह चुनाव के बाद नई सरकार के कार्यकाल में लागू हो सकती है।
NHAI से हो रही थी रियायती Toll tax की मांग:
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को लगातार उन लोगों से रियायती टोल की मांग मिल रही थी जो राष्ट्रीय राजमार्गों/एक्सप्रेसवे के पास रहते हैं, खासकर किसान और गांव वाले। चुनावों के मद्देनजर, NHAI ने टोल दरों में वृद्धि पर रोक लगा दी थी। यह उम्मीद की जा रही है कि नई टोल नीति इन लोगों की चिंताओं को दूर करेगी और उन्हें उचित रियायत प्रदान करेगी।
Toll tax में यह बदलाव क्यों जरूरी है?
- दैनिक उपयोगकर्ताओं पर बोझ कम करना: जो लोग रोजाना हाईवे का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए Toll tax एक बड़ा खर्च है। रियायती टोल से उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ कम होगा।
- टोल प्लाजा के आसपास के लोगों के लिए राहत: टोल प्लाजा के आसपास रहने वाले लोगों को बार-बार Toll tax देना पड़ता है, जिससे उन्हें परेशानी होती है। रियायती टोल से उन्हें इस समस्या से निजात मिलेगी।
- ट्रैफिक में कमी: रियायती Toll tax से लोग हाईवे का अधिक इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे शहरों में ट्रैफिक कम होगा।
मनीलाभ डॉट कॉम में एसोसिएट एडिटर। बिजनेस पत्रकारिता में डेढ़ दशक का अनुभव। इससे पहले दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार में बिजनेस बीट कवर कर चुके हैं। जब बिजनेस की खबरें नहीं लिख रहे होते तब शेर और कहानियों पर हाथ आजमा रहे होते हैं।