साल 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने 1,037 टन सोना खरीदकर अपने गोल्ड रिजर्व (Gold reserve) में जोड़ा। यह साल 2022 में 1082 टन की खरीद के बाद इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी सालाना खरीद है। इस साल की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2024 में केंद्रीय बैंकों ने 290 टन सोना खरीदा।
अगले 12 महीनों को लेकर भी सेंट्रल बैंकों की गोल्ड खरीद थमने वाली नहीं है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सोने को लेकर दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों का सेंटिमेंट बहुत हाई है।
काउंसिल के सर्वे में शामिल 70 में से करीब एक तिहाई (29%) सेंट्रल बैंकों का कहना है कि वे अपने गोल्ड रिजर्व में और ज्यादा सोना जोड़ेंगे। यह डब्ल्यूजीसी द्वारा 2018 में शुरू किए गए सर्वे में अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
सर्वे में शामिल 81% केंद्रीय बैंकों का कहना है कि ऑफीशियल सेक्टर का गोल्ड रिजर्व इस अवधि में और ज्यादा बढ़ेगा। 69% केंद्रीय बैंकों के मुताबिक अगले 5 वर्षों में विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी ज्यादा हो जाएगी। 62% को लगता है कि डॉलर की हिस्सेदारी घट जाएगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक, दुनियाभर में बढ़ता भू-राजनैतिक तनाव और कई अन्य कारण सोने की डिमांड बढ़ा रहे हैं। मिडिल-ईस्ट में संघर्ष और तनाव जारी है। यूक्रेन में युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है और अमेरिका-चीन के बीच तनाव भी बढ़ा हुआ है।
दुनियाभर में महंगाई घटने के बावजूद आर्थिक सुधार की गति असमान है और वित्तीय कमजोरियों को लेकर चिंताएं बरकरार हैं। “इंटरेस्ट रेट लेवल”, “महंगाई संबंधी चिंताएं”, और “भूराजनीतिक अस्थिरता” पिछले साल की तरह ही अभी भी केंद्रीय बैंकों के फॉरेक्स मैनेजमेंट संबंधी फैसलों में प्रमुख फैक्टर बनी हुई है।
Gold क्यों खरीदते हैं केंद्रीय बैंक
सोना परंपरागत रूप से केंद्रीय बैंकों के रिजर्व का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है। केंद्रीय बैंक प्रायः अपने रिजर्व में विविधता लाने के लिए सोना खरीदते हैं। अब तक जितनी मात्रा में सोने का उत्पादन हुआ है उनका पांचवां हिस्सा केंद्रीय बैंकों के भंडारों में है।
इस समय चीन और रूस बड़ी मात्रा में गोल्ड खरीद रहे हैं। रूस के भंडार में सोने की हिस्सेदारी 28% तक पहुंच गई है, जबकि अधिकांश देशों के सेंट्रल बैंकों में यह हिस्सा 10% से नीचे है।
रूस यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों ने रूस का 300 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार जब्त कर लिया। सोना रखने में इतना जोखिम नहीं है, क्योंकि यह किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र में ही रहता है।
दुनिया में इस समय सभी विदेशी मुद्राओं का लगभग 60% हिस्सा डॉलर में है और 80% से ज्यादा व्यापार भी इसी में होता है।
आरबीआई Gold खरीदने वाले टॉप 5 सेंट्रल बैंकों में
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, आरबीआई उन शीर्ष पांच केंद्रीय बैंकों में शामिल है जो सोना खरीद रहे हैं। आरबीआई ने 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 200 टन सोना खरीदा था। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022 में 65.11 टन सोना, वित्त वर्ष 2023 में 34.22 टन सोना और वित्त वर्ष 2024 में 19 टन सोना खरीदा है।
भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 8.15% या 5,220 करोड़ डॉलर के बराबर हो गई, यह 11 साल का उच्चतम स्तर है।
सेंट्रल बैंकों की खरीदारी का Gold price पर का क्या असर?
सोने (Gold) के साथ जुड़ी सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी आपूर्ति सीमित है। लिहाजा, केंद्रीय बैंकों की बढ़ती खरीदारी से इसकी कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं और इसके साथ ही निवेश जोखिम भी बढ़ सकता है। सोने की खरीद-बिक्री तेजी से होती है मगर केंद्रीय बैंकों की तरफ से भारी मात्रा में सोने की बिकवाली के समय इसके दाम पर उल्टा असर हो सकता है।
मनीलाभ डॉट कॉम में एसोसिएट एडिटर। बिजनेस पत्रकारिता में डेढ़ दशक का अनुभव। इससे पहले दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार में बिजनेस बीट कवर कर चुके हैं। जब बिजनेस की खबरें नहीं लिख रहे होते तब शेर और कहानियों पर हाथ आजमा रहे होते हैं।