रिटायरमेंट प्लानिंग में ग्रेच्युटी (Gratuity) बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। लेकिन अकसर सरकार और नियोक्ता इसे चुकाने में आनाकानी करते हैं या देरी कर देते हैं। लेकिन अब ऐसा करना नियोक्ता को भारी पड़ेगा। उन्हें इस देरी पर कर्मचारी को ब्याज चुकाना पड़ेगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह व्यवस्था दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पेंशन और ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी का मूल्यवान अधिकार है। यह सरकार या नियोक्ता की ओर से दिया जाने वाला उपहार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यदि पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान में अनावश्यक देरी होती है तो कर्मचारी को भुगतान पर ब्याज पाने का अधिकार है।
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Gratuity क्या है?
Gratuity वह राशि है जो नियोक्ता पांच साल या उससे ज्यादा समय से कार्यरत कर्मचारी को भुगतान करता है। यह मुख्य रूप से अंतिम वेतन और कंपनी को दी गई सेवा के वर्षों पर निर्भर करती है। अगर कोई कर्मचारी दुर्घटना या बीमारी के कारण विकलांग हो जाता है तो उसे पांच साल से पहले ग्रेच्युटी मिल सकती है। अगर कंपनी का कार्य सप्ताह छह दिन का है, तो कर्मचारी 4 साल और 240 दिन पूरे होने पर ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे।
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अगर नौकरी के आखिरी साल में आपने छह महीने से ज्यादा काम किया है, तो इसे पूरा साल माना जाएगा। मान लीजिए कि आपकी सेवा अवधि 16 साल 7 महीने है, तो आपको 17 साल के लिए ग्रेच्युटी मिलेगी। लेकिन अगर यह 16 साल 4 महीने है, तो 16 साल के लिए ग्रेच्युटी मिलेगी। जिन कर्मचारियों के नियोक्ता ग्रेच्युटी अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते हैं, उनके लिए ग्रेच्युटी राशि की गणना सेवा के प्रत्येक पूरे साल पर आधे महीने के वेतन के अनुसार की जाएगी।
आवेदन के कितने दिन भीतर करना होता है Gratuity भुगतान?
नियोक्ता को आवेदन पत्र प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर Gratuity राशि का भुगतान करना होगा। ऐसा नहीं करने पर उसे ग्रेच्युटी राशि और उस पर लगने वाले साधारण ब्याज का भुगतान करना होगा।
Gratuity से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम
Gratuity एक्ट के अनुसार, ग्रेच्युटी की राशि 20 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती। इससे अतिरिक्त किसी भी राशि को एक्स-ग्रेशिया (अनुग्रह राशि) माना जाएगा। यदि नियोक्ता दिवालिया हो जाता है तो भी ग्रेच्युटी राशि देय होगी। किसी भी सरकारी कर्मचारी (केन्द्रीय/राज्य/स्थानीय प्राधिकरण) को प्राप्त ग्रेच्युटी कर-मुक्त है। प्राइवेट कर्मचारियों को प्राप्त ग्रेच्युटी कुछ शर्तों के तहत कर-मुक्त होती हैं।
Gratuity में क्या सावधानी रखें?
किसी वजह से कर्मचारी की मौत हो जाने पर उसके द्वारा नामित व्यक्ति को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। ऐसे में ग्रेच्युटी के कागजातों में अपने नॉमिनी का नाम जुड़वाना बहुत जरूरी है। नाम वही जुड़वाएं जो आधार जैसे पहचान दस्तावेजों में लिखा हो।
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