जब लोग पैसा कमाना शुरू करते हैं, तो सबसे पहले अपनी कमाई के पैसे से अपनी पुरानी इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं। युवा अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा अपनी लाइफस्टाइल पर खर्च करते हैं। लेकिन इच्छाओं का क्या है, वह तो कभी पूरी होती ही नहीं। इसलिए फाइनेंशियल प्लानिंग के एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि कमाना शुरू करने के एक साल के भीतर ही फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial planning for beginners) शुरू कर देना चाहिए। इससे आगे अगर कोई परेशानी आती है तो आप उसका आसानी से मुकाबला कर पाते हैं, वहीं सब कुछ सही रहता है तो आपके पास कुछ वर्षों के बाद अच्छी खासी दौलत इकट्ठी हो चुकी होती है।
फाइनेंशियल प्लानिंग का मतलब है, अपनी आमदनी, जोखिम लेने की क्षमता और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें हासिल करने के लिए निवेश करना। फाइनेंशियल प्लानिंग से एक व्यक्ति अपने आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए न्यूनतम जोखिम पर निवेश शुरू करता है और इससे उसके जीवन में आर्थिक अनुशासन भी आता है।
अगर आप ने भी नई-नई नौकरी या कोई काम शुरू किया है तो हम आपको उन पांच कदमों के बारे में बता रहे हैं, जिन पर चलने से आपके पास कभी भी पैसों की कमी नहीं होगी।
1. पर्याप्त टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) खरीदें
जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का मुख्य कारण ये होता है कि अगर पॉलिसीधारक का अचानक निधन हो जाए तो उन पर निर्भर परिवार के लोगों को किसी आर्थिक मुश्किल का सामना ना करना पड़े। सबसे अच्छा जीवन बीमा टर्म इंश्योरेंस होता है। इसमें आपको बहुत ही कम प्रीमियम पर बड़ा बीमा मिल जाता है। 25 साल के धूम्रपान न करने वाले युवा को एक करोड़ रुपए का टर्म इंश्योरेंस कुछ हजार रुपयों में मिल सकता है।
ध्यान रहे, टर्म इंश्योरेंस का सम अश्योर्ड (बीमित राशि) आपकी सालाना आमदनी का 10-20 गुना होना चाहिए। कई लोग जीवन बीमा के लिए एजेंट्स के बहकावे में आकर यूलिप, मनीबैक पॉलिसी, एंडोमेंट पॉलिसी आदि खरीद लेते हैं। इनका ना कवर पर्याप्त होता है और ना ही रिटर्न ज़्यादा होता है।
2. अस्पताल के मोटे बिल से बचने Health Insurance खरीदें
अस्पतालों के बड़े बिलों से बचने के लिए पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना जरूरी है। आपकी कंपनी की ओर से दिया गया हेल्थ इंश्योरेंस (अगर कोई है तो) आपके नौकरी बदलते ही खत्म हो जाएगा। इसलिए, बेहतर है कि एक निजी हेल्थ पॉलिसी खरीदें, ताकि आप और आपका परिवार किसी भी तरह की मेडिकल इमरजेंसी में भी खर्चों से सुरक्षित रहें। कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस लेने से कम प्रीमियम पर अधिकतम बीमारियां कवर होंगी। वर्तमान समय में कम से 10 लाख रुपए का समअश्योर्ड ठीक माना जाता है।
3. छह महीने के खर्च लायक इमरजेंसी फंड बनाएं
बीमारी, नौकरी चले जाने या किसी अन्य अप्रत्याशित घटनाओं के कारण आपकी नियमित आय बंद हो सकती है। इससे आपके वित्तीय लक्ष्यों में रुकावट आ सकती है। आपको अपनी जमा पूंजी रोजाना की जरूरतों पर खर्च करना पड़ सकता है या फिर लोन लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
ऐसे हालात से बचने के लिए एक इमरजेंसी फण्ड बनाएं। यह आपके ज़रूरी खर्चों को कम से कम छह महीनों तक पूरा करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। इसमें रोज़मर्रा के खर्च, यूटिलिटी बिल, वर्तमान ईएमआई, SIP, इंश्योरेंस प्रीमियम, किराया, बच्चों की पढ़ाई का खर्च आदि की गणना कर लें। इमरजेंसी फण्ड को सेविंग अकाउंट में रखें ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत निकाल सकें।
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4. बड़े कॉर्पस के लिए इक्विटी में निवेश
बैंक एफडी, पीपीएफ, एनएससी आदि में किए गए निवेश पर मिलने वाला रिटर्न कभी-कभार ही इक्विटी से ज़्यादा होता है। इसलिए, जिन्होंने हाल ही में कमाना शुरू किया है उन्हें इक्विटी म्यूचुअल फण्ड के द्वारा इक्विटी में निवेश शुरू कर देना चाहिए। ये फण्ड हाउस प्रोफेशनल्स द्वारा मैनेज किये जाते हैं, इनमें एक तरफ़ा निवेश नहीं होता और आप कितने भी कम निवेश से शुरुआत कर सकते हैं।
अगर आपने हाल में कमाना शुरू किया है और आपका कोई भी आर्थिक लक्ष्य 5 साल के बाद पूरा होगा तो उसके लिए इक्विटी म्यूचुअल फण्ड में निवेश करें। यदि आपका कोई लक्ष्य पांच साल से कम का है तो वे फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट एफडी, डेट म्यूचुअल फण्ड आदि में निवेश कर सकते हैं।
5. SIP के जरिए निवेश की शुरुआत
करियर की शुरुआत में ज्यादातर लोग लम्बे समय के अपने निवेश में देरी करते हैं और अपने लाइफस्टाइल पर ज़्यादा ध्यान देते हैं। रिटायरमेंट फण्ड जैसे महत्वपूर्ण और बड़े आर्थिक लक्ष्य के लिए आप जितना जल्दी निवेश करना शुरू करेंगे उतना ही ज़्यादा समय आपके निवेश को बढ़ने के लिए मिलेगा और उसे चक्रवृद्धि ब्याजदर का भी लाभ मिलेगा।
आप निवेश के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP का उपयोग कर सकते हैं। इससे निवेश करना आसान होता है और साथ ही वित्तीय अनुशासन बनता है। इसके जरिए निवेश से आप बाज़ार में गिरावट के दौरान कम दाम पर ज़्यादा यूनिट खरीद सकते हैं और अपनी निवेश लागत का औसत बेहतर कर सकते हैं। इससे एक सुविधा ये भी है कि आपको बाजार पर नजर बनाए रखने की जरूरत नहीं पड़ती है।
मनीलाभ डॉट कॉम में एसोसिएट एडिटर। बिजनेस पत्रकारिता में डेढ़ दशक का अनुभव। इससे पहले दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार में बिजनेस बीट कवर कर चुके हैं। जब बिजनेस की खबरें नहीं लिख रहे होते तब शेर और कहानियों पर हाथ आजमा रहे होते हैं।