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Intestate succession: बिना वसीयत मौत पर कैसे होता है उत्तराधिकारियों में संपत्ति का बंटवारा?

Intestate succession:अपनी मृत्यु के बाद अपनी इच्छा से अपनी सम्पति को बांटने का सबसे उचित तरीका तो वसीयत ही है। इसमें होता यह है कि इंसान अपने जीवन काल में ही अपनी इच्छानुसार यह लिख जाता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी सम्पति किस तरह से और किसे मिलेगी। वसीयत किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके वारिसों के मध्य विवादों को समाप्त करवाने के लिए भी जरूरी है। इसके लिए एक स्पष्ट वसीयत होनी चाहिए। बिना वसीयत किये हुए यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु (dying without a will) हो जाती है तो फिर इस सम्बन्ध में कानून होते हुए भी उसकी विरासत का बंटवारा विवादरहित नहीं रहता है।

लेकिन आज भी हम में से ज्यादातर लोग वसीयत नहीं लिखते। आइये जानते हैं अगर किसी व्यक्ति की मौत बिना वसीयत किये हो जाती है तो फिर उसकी संपत्ति (intestate inheritance rights) किस तरह बंटती है। 

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यहां फिलहाल हम हिन्दू धर्म के तहत आने वाले व्यक्ति की बात कर रहें हैं। इसमें हिन्दूओं के अलावा जैन, सिख और बौद्ध भी आते हैं। यानी यह नियम इन पर भी लागू होता है। इसके लिए हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 और हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन विधेयक 2005 में विरासत के बंटवारे के कानून के लिए प्रावधान बनाये गए हैं।

हिन्दू कानून में दो श्रेणी के उत्तराधिकारी होते हैं, पहला क्लास-1 के उत्तराधिकारी और दूसरे क्लास-2 के उत्तराधिकारी। यदि व्यक्ति की मौत बिना वसीयत लिखे हो जाती है तो उसकी विरासत उसके क्लास-1 के उत्तराधिकारियों को मिलती है। यदि इस कैटेगरी के उत्तराधिकारी हैं ही नहीं तो फिर क्लास-2 के उत्तराधिकारियों को यह विरासत मिलती है।

क्लास-1 के उत्तराधिकारी कौन-कौन हैं?

इसमें मृतक का बेटा, उसकी बेटी, उसकी पत्नी, उसकी माता, उसके मृत बेटे की पत्नी, पुत्र एवं पुत्रियां, एवं उसकी मृत बेटी के पुत्र एवं पुत्रियां इत्यादि शामिल हैं। ये लिस्ट अभी और भी लम्बी है। पूरी लिस्ट देखने के लिए आप हिन्दू उत्तराधिकार कानून की धारा-6 में क्लास का वर्गीकरण देखें, जिसमें क्लास -1 एवं क्लास -2 का वर्गीकरण बताया गया है।

Intestate succession: क्लास-1 के उत्तराधिकारियों में कैसे होगा बंटवारा?

आइये इसे एक उदाहरण के जरिये समझने का प्रयास करते हैं। एक व्यक्ति की मृत्यु बिना वसीयत किये हो गई है और उसके वारिसों के रूप में उसकी माता है, पत्नी है, एक बेटा है और दो बच्चे उसकी मृत बेटी के हैं। तो अब उसकी संपत्ति के चार हिस्से होंगे। एक चौथाई हिस्सा मृतक की माता को , एक चौथाई हिस्सा मृतक की पत्नी को , एक चौथाई हिस्सा मृतक के बेटे को और बकाया एक चौथाई हिस्से में से आधा-आधा मृतक की स्वर्गीय बेटी के दोनों बच्चो को मिलेगा।

क्लास-2 के उत्तराधिकारी कौन-कौन हैं?

अब यदि उस व्यक्ति का क्लास-1 का कोई उत्तराधिकारी नहीं है, तो फिर उसकी विरासत क्लास-2 के उत्तराधिकारियों में बंटेगी। आइये देखते हैं, क्लास-2 के उत्तराधिकारी कौन-कौन हैं। इसमें मृतक के  पिता, उसके बेटे/बेटी का बेटा, उसके बेटे/बेटी की बेटी, उसके भाई, उसकी बहन, उसकी बहन का बेटा, उसकी बहन की बेटी, भाई का बेटा, भाई की बेटी इत्यादि आते हैं। इस लिस्ट को भी हिदू उत्तराधिकार कानून की धारा 6 में बताया गया है।

ऊपर दिए उदाहरण में आपने देखा कि मृतक के क्लास-1 के उत्तराधिकारी जीवित थे, इसलिए बंटवारा उसी हिसाब से हुआ। लेकिन यदि क्लास-1 के उत्तराधिकारी नहीं हों तो? उदाहरण के लिए ऐसा अविवाहित पुरुष जिसकी माता भी इस दुनिया में ना हों, तो फिर उसका क्लास-1 का कोई वारिस ही ज़िंदा नहीं है, तब आपको क्लास-2 के उत्तराधिकारी (Intestate succession) देखने होंगे।

आइए देखते हैं ऐसे मामले में संपत्ति कैसे बंटेगी। उसका एक भाई है, दूसरे भाई की मृत्यु हो चुकी है जिसके दो पुत्र हैं, और उसकी एक बहन है। अब उसकी संपत्ति के तीन हिस्से होंगे एक तिहाई हिस्सा उसके भाई को, एक तिहाई हिस्सा बहन को और एक तिहाई हिस्से का आधा-आधा उसके मृत भाई के दोनों बच्चो को मिलेगा।

खास बात ये है कि यदि किसी मृतक के ना तो क्लास-1 के उत्तराधिकारी हैं और ना ही क्लास-2 के उत्तराधिकारी हैं, तो फिर उसकी विरासत उसके किसी भी दूर के रिश्तेदार को चली जाएगी, जिससे उसका खून का रिश्ता साबित होता हो। यह भी नहीं होगा तो यह विरासत सरकार को चली जाएगी।  

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