म्यूचुअल फंड (Mutual fund) में एसआईपी के जरिए निवेश लगातार बढ़ रहा है। लेकिन उतनी ही बड़ी संख्या में एसआईपी (SIP) खाते बंद भी हो रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक निवेशकों को अपने एसआईपी को एक फंड से दूसरे फंड में लगातार बदलने से बचना चाहिए। इसकी वजह से रिटर्न का नुकसान हो सकता है। अपने निर्धारित निवेश लक्ष्य तक एक ही फंड में बने रहने से ज्यादा फायदा होता है।
कब रोकें एसआईपी?
अगर कोई फंड खराब प्रदर्शन कर रहा है तो यह एसआईपी को बंद करने का एक कारण हो सकता है। लेकिन यह देखना चाहिए कि फंड के खराब प्रदर्शन की वजह क्या है और क्या यह अस्थायी स्थिति है या फिर फंड में बुनियादी तौर पर कुछ खामियां हैं। अगर ढांचागत खामी तो फंड से बाहर निकलना बेहतर है। इसके अलावा एसआईपी से जुड़ा वित्तीय लक्ष्य हासिल हो जाता है तो एसआईपी रोकी जा सकती है।
कब नहीं रोकना चाहिए एसआईपी?
लंबी अवधि के निवेशकों को बाजार में गिरावट के दौरान एसआईपी को कभी नहीं रोकना चाहिए। बाजार में गिरावट के दौरान उतनी ही एसआईपी में फंड की ज्यादा यूनिट मिलती है। इससे लंबी अवधि में रिटर्न बढ़ जाता है।
म्यूचुअल फंड बदलने में जोखिम
निवेशकों को अपने एसआईपी को एक फंड से दूसरे फंड में लगातार बदलने से बचना चाहिए। हरेक फंड मैनेजर की अपनी निवेश शैली होती है। अगर बाजार उस शैली के अनुकूल नहीं होगा तो उसका प्रदर्शन खराब रहेगा। यदि एसआईपी को खराब प्रदर्शन करने वाले फंड से बेहतर प्रदर्शन वाले फंड में लगातार बदलते रहेंगे तो आप उन फंडों से बाहर निकल जाएंगे जहां जल्द उछाल आने की संभावना होगी। साथ ही आप उन फंडों में निवेश कर सकते हैं जहां जल्द खराब प्रदर्शन का दौर देखने को मिल सकता है।

मनीलाभ डॉट कॉम में एसोसिएट एडिटर। बिजनेस पत्रकारिता में डेढ़ दशक का अनुभव। इससे पहले दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार में बिजनेस बीट कवर कर चुके हैं। जब बिजनेस की खबरें नहीं लिख रहे होते तब शेर और कहानियों पर हाथ आजमा रहे होते हैं।