देश में म्यूचुअल फंड (Mutual fund) में निवेशकों की रूचि लगातार बढ़ रही है। चार करोड़ से अधिक लोग म्यूचुअल फंड में निवेशित हैं। एसआईपी के जरिए हर साल म्यूचुअल फंड में आने वाली निवेश राशि 20 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चुकी है। लेकिन इसके बावजूद अधिकतर निवेशकों के लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करना एक बड़ी चुनौती रहती है। ज्यादातर निवेशक म्यूचुअल फंड के बारे में ज्यादा पढ़ने के बजाय ‘रिटर्न’ की तुलना कर फैसला कर लेते हैं, जो कि सही नहीं है।
किसी भी फंड का चुनाव करते समय कुछ बातें होती हैं, जिन पर गौर करना जरूरी होता है। अच्छी बात ये है कि सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों को ये सभी बातें एक फैक्टशीट (factsheet) में हर महीने जारी करनी होती हैं। बाजार नियामक सेबी ने यह व्यवस्था बनाई है। आइए जानते हैं कि वह कौन से प्रमुख फैक्ट्स हैं जिन्हें इक्विटी फंड (equity fund) में निवेश से पहले हमें जरूर देख लेना चाहिए।
निवेश का उद्देश्य
यह फैक्टशीट के शुरू में ही दिया गया होता है। इसमें स्कीम के लक्ष्यों की स्पष्ट रूपरेखा होती है। लगभग दो-तीन वाक्यों में बताया गया होता है कि फंड किस एसेट क्लास और भौगोलिक क्षेत्रों में निवेश करेगा और फंड किस तरह का रिटर्न उत्पन्न करने का लक्ष्य रखता है। इसके लिए आवश्यक समय सीमा का उल्लेख भी होता है। इसमें योजना के तहत जोखिम के स्तर को दर्शाने वाला रिस्कोमीटर भी प्रदान किया जाता है। इसके आधार पर आप यह निर्धारित कर सकते हैं कि यह आपकी वित्तीय योजना के अनुरूप है भी या नहीं?
Mutual fund स्कीम का स्टैंडर्ड डेविएशन
ज्यादातर निवेशक अपने रिटर्न में स्थिरता पसंद करते हैं। यदि आप भी ऐसा चाहते हैं तो आपको स्टैंडर्ड डेविएशन (SD) को एक प्रमुख प्रदर्शन मीट्रिक के रूप में मानना चाहिए। स्टैंडर्ड डेविएशन अपने औसत रिटर्न की तुलना में फंड के भविष्य के रिटर्न की अस्थिरता को मापता है। यानी फंड के रिटर्न में उसके ऐतिहासिक रिटर्न में कितना उतार-चढ़ाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी फंड का औसत रिटर्न 15% और स्टैंडर्ड डेविएशन 5% है, तो उसका रिटर्न 10-20% से हो सकता है। स्टैंडर्ड डेविएशन जितना अधिक होगा, फंड की अस्थिरता उतनी ही अधिक होगी।
Mutual fund स्कीम का का बीटा
फंड की अस्थिरता को मापने का एक अन्य प्रमुख मानक है, बीटा। यह फंड के बेंचमार्क इंडेक्स की तुलना में फंड की अस्थिरता को बताता है। 1 से अधिक बीटा का अर्थ है कि स्कीम बेंचमार्क के सापेक्ष अधिक अस्थिर है। इसके विपरीत, यदि यह 1 से कम है, तो इसका आशय है कि यह बेंचमार्क के सापेक्ष कम अस्थिर है।
म्यूचुअल फंड स्कीम का शार्प रेशियो
यदि आपको समान स्तर के रिटर्न की पेशकश करने वाले दो फंडों के बीच चयन करना है, तो शार्प रेशियो निर्णायक कारकों में से एक हो सकता है। यह फंड के प्रदर्शन की तुलना उसके द्वारा लिए गए जोखिम के संबंध में करता है और उसके जोखिम-समायोजित रिटर्न को दर्शाता है। जहां एसडी और बीटा के कम होने की अपेक्षा की जाती है, वहीं उनके विपरीत शार्प रेशियो के अधिक होने की अपेक्षा की जाती है।
स्कीम की बेंचमार्क से तुलना
हर फैक्टशीट स्कीम के बेंचमार्क की तुलना में उसका ऐतिहासिक रिटर्न बताती है। पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं है, फिर भी यह इस बात का अंदाजा देता है कि स्कीम ने कितनी बार बेंचमार्क से बेहतर या कमतर प्रदर्शन किया। बेंचमार्क रिटर्न से अधिक किसी योजना द्वारा उत्पन्न रिटर्न को ‘अल्फा’ कहा जाता है। शार्प रेशियो की तरह, अल्फा के अधिक होने की अपेक्षा की जाती है। शून्य से अधिक किसी भी चीज को अच्छा अल्फा माना जाता है।
equity fund का पोर्टफोलियो टर्नओवर रेश्यो
बाय-एंड-होल्ड एप्रोच हर समय कारगर नहीं हो सकता है, लेकिन फिर भी यह वांछनीय है कि किसी फंड का पोर्टफोलियो काफी हद तक स्थिर रहे। पोर्टफोलियो टर्नओवर रेश्यो (पीटीआर) एक फंड की होल्डिंग के प्रतिशत की गणना करके इसे दर्शाता है, जो किसी दिए गए वर्ष में बदल गया है। जिन Mutual fund फंडों का प्रबंधन आक्रामक तरीके से किया जाता है, उनका पीटीआर उन फंड्स की तुलना में अधिक होता है, जो बाय-एंड-होल्ड रणनीति पसंद करते हैं। निवेशकाें को कम/मध्यम पीटीआर वाले फंड चुनने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह अच्छे रिसर्च का संकेत देता है।
Mutual fund स्कीम का एसेट एलोकेशन
अधिकतर निवेशक Mutual fund स्कीम का कुल एयूएम देखते हैं, लेकिन बहुत कम निवेशक होते हैं, जो इन परिसंपत्तियों के आवंटन को देखते हैं। फैक्टशीट से आपको इक्विटी, डेट में स्कीम के निवेश और उपलब्ध कैश बैलेंस को समझने में मदद मिलेगी। इसमें फंड का सेगमेंट और कंपनियों के हिसाब से आवंटन का भी उल्लेख होता है। इससे अच्छी तरह से यह समझा जा सकता है कि पोर्टफोलियो विविधीकृत है या नहीं।

मनीलाभ डॉट कॉम में एसोसिएट एडिटर। बिजनेस पत्रकारिता में डेढ़ दशक का अनुभव। इससे पहले दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार में बिजनेस बीट कवर कर चुके हैं। जब बिजनेस की खबरें नहीं लिख रहे होते तब शेर और कहानियों पर हाथ आजमा रहे होते हैं।