म्यूचुअल फंडक्या होते हैं हाइ​ब्रिड फंड, आसान शब्दों में जानें इस खास म्यूचुअल...

क्या होते हैं हाइ​ब्रिड फंड, आसान शब्दों में जानें इस खास म्यूचुअल फंड के बारे में सब कुछ 

हाइब्रिड फंड एक ही फंड के भीतर अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करता है

एक स्वस्थ शरीर के लिए ऐसा डाइट प्लान जरूरी है, जो आपके शरीर और जीवनशैली के अनुरूप हो। आपके डाइट प्लान में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, मैग्नीनिशयम सब संतुलित मात्रा में होना चाहिए, तभी आपका स्वास्थ्य संतुलित रहेगा। निवेश में भी ऐसा ही होता है। आप सिर्फ एक एसेट पर निर्भर नहीं हो सकते। आपको इक्विटी, डेट, गोल्ड सब में संतुलित निवेश करना होता है। हाइब्रिड फंड यही काम करते हैं।

हाइब्रिड फंड म्यूचुअल फंड का एक प्रकार का है, जो एक ही फंड के भीतर अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करता है। इसमें दो या दो से अधिक एसेट क्लास हो सकते हैं, जिनमें इक्विटी, डेट, सोना और ग्लोबल शेयर शामिल हैं। इन एसेट क्लास के बीच न के बराबर संबंध होता है, इससे अगर एक एसेट क्लास में गिरावट भी आए तो अन्य एसेट क्लास घाटा ज्यादा होने से बचा लेते हैं। फिलहाल देश में हाइब्रिड फंड की छह कैटेगरी हैं। आइए इन छह कैटेगरी के बारे में विस्तार से समझते हैं। 

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  1. कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड: कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड अपनी कुल संपत्ति का लगभग 10-25% शेयर बाजार यानी इक्विटी में निवेश करता है। शेष हिस्से को डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है, जिसमें कॉर्पोरेट व सरकारी बॉन्ड और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर शामिल हैं। डेट में निवेश नियमित एवं स्थिर आय प्रदान करता है, जबकि इक्विटी समय के साथ पूंजी वृद्धि और लाभांश के माध्यम से बेहतर रिटर्न देने का काम करता है। यदि आप कम जोखिम के साथ मध्यम रिटर्न की उम्मीद रखने वाले निवेशक हैं, तो ये आपके लिए सही हैं।
  2. एग्रेसिव हाइब्रिड फंड: हाइब्रिड फंड्स की यह श्रेणी उन निवेशकों के लिए अच्छी है जिनकी जोखिम लेने की क्षमता अधिक है। इसमें कुल पूंजी का लगभग 65-80% लार्जकैप, मिड-कैप और स्मॉल कैप इक्विटी में आवंटित होता है। बाकी का 20%-35% हिस्सा फिक्स इनकम के लिए डेट एवं अन्य एसेट क्लास में निवेश किया जाता है। चूंकि इस फंड का बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश होता है, इसलिए उन्हीं निवेशकों को इसमें निवेश करना चाहिए जो कम से कम 5 वर्ष की अवधि तक इसमें निवेशित रह सकते हैं।
  3. डाइनैमिक एसेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड: बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या डाइनैमिक एसेट एलोकेशन फंड ऐसे म्यूचुअल फंड हैं जो इक्विटी और डेट के बीच आवंटन को घटाते-बढ़ाते रहते हैं। जब शेयर बाजार उंचाई पर होता है, तब ये डेट में निवेश करते हैं। जब बाजार गिरता है तब ये डेट से पैसा निकाल कर इक्विटी में निवेश करते हैं। मार्केट की टाइमिंग से बचने की इच्छा रखने वाले निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं। 
  4. आर्बिट्रेज फंड: आर्बिट्रेज फंड्स, दो अलग-अलग एक्सचेंज पर या दो भिन्न बाजारों (कैश और डेरिवेटिव बाजार) के बीच शेयर की कीमतों के बीच के अंतर का लाभ उठाते हैं। फंड मैनेजर दो बाजार भाव के अंतर का लाभ उठाते हैं और उससे निवेशकों को रिटर्न देते हैं। टैक्स के मामले में इसे इक्विटी फंड की तरह रखा जाता है। आर्बिट्रेज फंड उन निवेशकों को पसंद आ सकते हैं जो अपनी अतिरिक्त पूंजी को कहीं रखना चाहते हैं और बैंक खाते की तुलना में अधिक रिटर्न चाहते हैं।
  5. मल्टी एसेट एलोकेशन फंड: पारंपरिक हाइब्रिड फंड से एक कदम आगे बढ़ते हुए, मल्टी एसेट फंड कम से कम तीन अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करता है। इसमें हर एसेट क्लास में कम से कम 10% फंड आवंटित किया जाता है। तीन एसेट क्लास में निवेश निवेशकों को आसानी से डायवर्सिफाइ करने का मौका देता है। इसके अलावा, चूंकि हर एसेट क्लास अलग तरह से व्यवहार करता है, इसमें गिरावट का खतरा कम हो जाता है। 
  6. इक्विटी सेविंग्स फंड: इक्विटी सेविंग फंड इक्विटी, डेट और आर्बिट्रेज का मिश्रण होता है। इक्विटी सेविंग्स फंड इक्विटी और आर्बिट्रेज पोजीशन में न्यूनतम 65% और शेष राशि फिक्स्ड इनकम साधनों में आवंटित करता है। आर्बिट्रेज पोजीशन का उपयोग नियमित आय उत्पन्न करने पर होता है, जबकि इक्विटी में आवंटन पूंजी वृद्धि पर केंद्रित होता है। फंड इक्विटी टैक्सेशन भी प्रदान करता है।

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