खुद का फ्लैट (Buying flat) खरीदना ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवार के लिए सबसे बड़ा सपना होता है। लंबे सोच-विचार और वर्षों की कोशिशों के बाद आप नया घर खरीदने के लिए तैयार हो पाते हैं। इस फैसले में बहुत बड़ी राशि शामिल होती है। ऐसे में नया फ्लैट खरीदते समय उसका वास्तु, लोकेशन, कनेक्टिविटी, पजेशन की तिथि और कीमत जैसे कुछ प्रमुख कारकों पर जरूर ध्यान देना चाहिए। लेकिन पांच और पैरामीटर हैं, जिन्हें नया फ्लैट खरीदते समय ध्यान देने की जरूरत होती है।
कार्पेट एरिया और सुपर बिल्टअप एरिया में क्या अंतर है?
आमतौर पर फ्लैट का जो एरिया रजिस्टर होता है, वह सुपर बिल्ट-अप एरिया होता है। इसमें फ्लैट के अलावा शाफ्ट, लिफ्ट स्थान, सीढ़ियां, दीवारों की मोटाई आदि का एरिया भी शामिल होता है। जबकि, कार्पेट एरिया फ्लैट की दीवारों के भीतर का वास्तविक क्षेत्र है। यह सुपर बिल्ट-अप एरिया से 30 फीसदी तक कम हो सकता है।
जमीन का रिकॉर्ड चेक किया या नहीं?
जिस जमीन पर आपका फ्लैट बना है, उसकी जानकारी लेना बहुत महत्वपूर्ण है। आपको उस भूमि की मिट्टी की गुणवत्ता और टोपाग्राफी के बारे में पता लगाना चाहिए। उस जमीन को सभी बकाया से मुक्त होना चाहिए और रजिस्टर होना चाहिए। घर खरीदने से पहले टाइटल डीड को अच्छी तरह से जांच लेना चाहिए। टाइटल डीड संपत्ति के प्रति अधिकारों, स्वामित्व और दायित्वों पर सभी विवरण देता है।
कितने तरह की NOC होना जरूरी?
सुनिश्चित करें कि फ्लैट उस भूखंड पर निर्माण के लिए कानूनी रूप से अधिकृत है। डेवलपर के पास क्षेत्र विकास प्राधिकरणों, जल आपूर्ति और सीवेज बोर्ड, बिजली बोर्ड और नगर निगम से अनुमोदन और एनओसी होनी चाहिए। यदि आप होम लोन ले रहे हैं, तो आपका बैंक लोन की मंजूरी से पहले ये सब खुद जांच लेगा।
बिल्डर-बायर एग्रीमेंट क्या होता है?
जब आप डेवलपर से फ्लैट खरीदते हैं तो आप एक टोकन राशि देकर उसे बुक कर सकते हैं। इसके बदले में आपको एक आवंटन पत्र मिलता है। बाकी रकम के लिए खरीदार और बिल्डर के बीच समझौता होता है, बिल्डर-बायर एग्रीमेंट कहते हैं। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे विस्तार से पढ़ना और समझना चाहिए। सभी खंडों को स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए और यदि कोई संदेह हो, तो उसी समय उस बिंदु को उठाना चाहिए।
छिपे हुए खर्चों की जानकारी ली या नहीं?
यह सुनिश्चित कर लें कि सभी दस्तावेजों के सभी खंड विस्तार से पढ़े गए हैं और दंड वाले प्रावधान अच्छी तरह समझ लिए गए हैं। अतिरिक्त खर्चों जैसे जीएसटी, स्टाम्प ड्यूटी, होम लोन प्रोसेसिंग शुल्क, पंजीकरण शुल्क और अन्य सभी शुल्कों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
मनीलाभ डॉट कॉम में वरिष्ठ संवाददाता। पर्सनल फाइनेंस खासकर फाइनेंशियल प्लानिंग पर लिखने का शौक है।