शेयर बाजारt+0 settlement: 25 शेयरों के साथ शुरू हुआ टी+0 निपटान, जानिए 30...

t+0 settlement: 25 शेयरों के साथ शुरू हुआ टी+0 निपटान, जानिए 30 साल में कितना बदला सिस्टम

t+0 settlement: शेयर बाजार में सौदों के same day निपटान की व्यवस्था T+0 गुरुवार से शुरू हो गई। 25 शेयरों के साथ प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरुआत की जा रही है। T+0 निपटान का अर्थ है, जिस दिन ट्रेड हो उसी दिन उसका सेटलमेंट हो जाए। अभी यह एक दिन बाद यानी T+1 में सेटल होता है। 

इससे पहले, बीएसई ने बुधवार को t+0 settlement में शुरुआत में शामिल होने वाले 25 शेयरों के नाम जारी कर दिए थे। ये शेयर हैं, अंबुजा सीमेंट्स, अशोक लीलैंड, बजाज ऑटो, बैंक ऑफ बड़ौदा, बीपीसीएल, बिड़लासॉफ्ट, सिप्ला, कोफोर्ज, डिविस लेबोरेटरीज, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, इंडियन होटल्स कंपनी, जेएसडब्ल्यू स्टील, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, एलटीआईमाइंडट्री, एमआरएफ, नेस्ले इंडिया, एनएमडीसी, ओएनजीसी, पेट्रोनेट एलएनजी, संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, टाटा कम्युनिकेशंस, ट्रेंट, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और वेदांता।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की योजना t+0 settlement को टॉप-500 शेयरों के साथ शुरू करने की थी। हालांकि, पिछले हफ्ते सेबी ने अपनी योजना में बदलाव करते हुए कहा कि टी+0 की नई  व्यवस्था 25 शेयरों के सीमित सेट और ब्रोकर्स के सीमित सेट के साथ शुरू किया जाएगा।

इसकी वजह ये है कि कुछ विदेशी संस्थागत निवेशकों का कहना था कि इंटरनेशनल ट्रांसफर में लगने वाले समय को देखते हुए टी+0 व्यवस्था उनके लिए सही नहीं होगी। 

t+0 settlement: क्यों लागू करना चाहता है सेबी? 

सेबी का मानना है कि सौदों का छोटा निपटान चक्र निवेशकों के लिए लागत में कमी, शुल्क में पारदर्शिता लाएगा और शेयर बाजार में जोखिम प्रबंधन को मजबूत करेगा।”

सेबी ने कहा है कि मार्केट इंटरमीडियरी को समय-समय पर अपनी वेबसाइटों पर टी+0 निपटान चक्र के बीटा संस्करण में भाग लेने वाले दलालों की सूची का प्रसार करना होगा और गतिविधियों की प्रगति पर एक पाक्षिक रिपोर्ट भी प्रकाशित करनी होगी। अगले आदेश तक यह व्यवस्था कायम रहेगी।

हर्षद मेहता के दौर में क्या थी सेटलमेंट साइकिल?

शेयर बाजार में हर्षद मेहता घोटाले के समय सेटलमेंट साइकिल टी+14 हुआ करती थी। घोटाला सामने आने के कुछ साल बाद इसे घटाकर टी+7 कर दिया गया। इसके बाद जुलाई 2001 में सेबी ने कुछ शेयरों में T+5 निपटान व्यवस्था शुरू की। दिसंबर 2001 तक इसे सभी शेयरों में विस्तारित किया गया। अप्रैल 2002 में निपटान चक्र को घटाकर T+3 कर दिया गया और अप्रैल 2003 से इसे और T+2 कर दिया गया। पिछले साल इसे और घटाकर T+1 कर दिया गया। अब t+0 settlement की ओर कदम बढ़ा दिया गया है। 

यह भी पढ़ें: best credit card for fuel: पेट्रोल-डीजल पर बचत के लिए कौन सा क्रेडिट कार्ड सबसे अच्छा, यहां जानिए

Check out our other content

Most Popular Articles