वित्तीय वर्ष समाप्त होने में एक तिमाही से भी कम का समय बचा है। यानी टैक्स प्लानिंग करने के लिए आपके पास ज्यादा समय नहीं है। ज्यादातर करदाता टैक्स बचाने के लिए अपने-अपने स्तर पर गुणाभाग करते हैं। वे अपने निवेश खंगालते हैं, टैक्स की गणना करते हैं और जान-पहचान के लोगों या विशेषज्ञों से चर्चा करते हैं। हालांकि, टैक्स प्लानिंग करते समय हम अपने परिवार पर ध्यान नहीं देते जो टैक्स बचाने में हमारी बड़ी मदद कर सकता है। आइए जानते हैं कि टैक्स प्लानिंग में हम परिवार की मदद कैसे ले सकते हैं…
माता या पिता को मकान किराए का भुगतान
वेतनभोगी करदाता अपने माता या पिता को किराए का भुगतान कर उसे मिलने वाले मकान किराए भत्ते पर आयकर में कटौती का दावा कर सकते हैं। यदि माता-पिता की आय टैक्स लिमिट में नहीं आती है तो उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा। यदि मकान किराया सालाना एक लाख क्लेम कर रहे हैं तो उनका पैन नंबर अपने नियोक्ता को देना होगा। पैन नंबर देने का यह मतलब नहीं है की आयकर का नोटिस आ जाएगा। यह केवल ये जांचने के लिए होता है कि किराया लेने वाले व्यक्ति ने अपने रिटर्न में किराए की आमदनी दर्शायी है या नहीं।
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माता-पिता या बालिग बच्चों के नाम निवेश
यदि कोई व्यक्ति अपने माता-पिता या बालिग बच्चों के नाम से कोई निवेश करता है तो उस निवेश से होने वाली आय पर क्लबिंग के प्रावधान नहीं लगते हैं। निवेश से होने वाली आमदनी पर टैक्स उस व्यक्ति को देना होता है, जिसके नाम पर निवेश किया गया है। ऐसे में यदि माता-पिता सीनियर सिटीजन हैं तो उन्हें सेविंग खाते या फिक्स्ड डिपाजिट से मिलने वाले ब्याज पर 50 हजार रुपए तक की कटौती भी मिलेगी। यदि कोई करदाता पत्नी या नाबालिग बच्चों के नाम निवेश करते हैं तो ऐसे में क्लबिंग के प्रावधान लगते हैं और निवेश से होने वाली आय पर टैक्स करदाता को ही देना होता है।
स्पाउस के साथ संयुक्त नाम से सम्पति खरीदना
यदि आप एवं आपका जीवनसाथी दोनों आयकरदाता हैं तो संयुक्त नाम से सम्पति खरीदने पर होम लोन के ब्याज एवं मूलधन के पुनःभुगतान पर मिलने वाली छूट का फायदा दोनों को मिलता है। इसमें यह ध्यान रखने की बात है कि चुकाए गए ब्याज एवं मूलधन पर उसी अनुपात में टैक्स का लाभ मिलता है, जितना कि वे इसे चुकाने के लिए योगदान देते हैं। अतः ज्यादा आमदनी वाले सदस्य का लोन भुगतान अनुपात अधिक होने पर ज्यादा टैक्स की बचत हो सकती है।
किराया देने वाली सम्पति पत्नी के नाम खरीदना
यदि आपकी पत्नी के पास सोने-चांदी के गहने हैं तो उसे आप पत्नी से खरीद लें। इस राशि से पत्नी यदि कोई ऐसा दुकान या मकान लेती है, जिससे किराये की आमदनी पत्नी के हाथ में टैक्स होगी एवं इस पत्नी को गहने से बेचने पर होने वाले पूँजीगत लाभ पर कैपिटल गेन में धारा 54एफ में छूट मिल सकती है और भविष्य में होने वाली किराए की आमदनी पर आपकी पत्नी को टैक्स देना होगा न कि आप को। यह टैक्स भी तब देना होगा, जब उनकी आया आयकर योग्य हो।
कम आय वाले व्यक्ति के नाम पर निवेश
यदि आप एवं आपका जीवन साथी दोनों आयकरदाता हैं तो कोशिश करें खर्च अधिक आय वाला पार्टनर उठाए, जबकि निवेश कम आय वाले पार्टनर के नाम पर करें। इससे निवेश से होने वाली आमदनी पर कम टैक्स देना होगा, क्योंकि कम आय वाले पार्टनर का इनकम स्लैब कम होगा। उदाहरण के लिए 15 लाख सालाना आमदनी वाले आयकर दाता को निवेश से दो लाख रुपए की आमदनी होती है, तो उसे 60 हजार रुपए टैक्स देना होगा। वहीं, यदि पार्टनर की सालाना आय 6 लाख रुपए है और उसे निवेश से इतनी ही आमदनी होता है तो उन्हें महज 40 हजार रुपए टैक्स भरना होगा।
(अगर आपके मन में टैक्स से जुड़ा कोई सवाल है तो आप हमें editor@moneylabh.com पर ईमेल कर सकते हैं। आप हमें 88827-13048 पर व्हाट्सएप भी कर सकते हैं।)
कीर्ति जोशी पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। देश के प्रमुख अखबारों दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में टैक्स और अन्य वित्तीय मामलों पर लिखते रहते हैं।