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आम करदाता और व्यापारियों के लिए सरल हिंदी में MSME 43B(h) से जुड़े अहम सवाल-जवाब

एक अप्रैल 2024 से प्रभावी होने जा रहे MSME 43B (h) के प्रावधान काे समझना आम व्यापारी, उद्योगपति एवं करदाताओं के लिए बहुत जरूरी है, इसका इसका पालन नहीं करने के परिणाम घातक हो सकते हैं

नई दिल्ली। वित्त विधेयक 2023 में ‘सूक्ष्म और लघु उद्यमों’ (MSME) को समय पर भुगतान दिलाने के लिए आयकर अधिनियम 1961 की धारा 43बी का विस्तार ‘सूक्ष्म और लघु उद्यमों’ को किए गए भुगतान तक कर दिया गया है। MSME 43B (h) के तहत इन खरीद और खर्चों की अनुमति किसी वित्तीय वर्ष में मर्केंटाइल आधार पर तभी दी जाएगी जब इन्हें भुगतान MSMED-2006 (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम-2006) के तहत अनिवार्य समय सीमा के भीतर होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो ऐसे भुगतानों के लिए कटौती की अनुमति तभी दी जाएगी जब वास्तव में भुगतान किया गया हो। यह ध्यान रखें कि यह प्रावधान मध्यम उद्यम (Medium Enterprises)  पर लागू नहीं है।

एक अप्रैल 2024 से प्रभावी होने जा रहे, इस प्रावधान काे समझना आम व्यापारी, उद्योगपति एवं करदाताओं के लिए बहुत जरूरी है। इसका इसका पालन नहीं होने के परिणाम घातक हो सकते हैं। अभी 31 मार्च 2024 के आने में थोड़ा समय है, इसलिए यदि इस प्रावधान को अभी ध्यान से समझ लिया जाए तो इसका पालन आसान हो जाएगा। यहां इस प्रावधान से जुड़े 9 बड़े सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं। 

1.यदि मैंने किसी व्यापारी से माल खरीदा है, तब भी क्या यह प्रावधान लागू होगा?

नहीं, यह प्रावधान केवल निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं से ख़रीदे माल या सेवा पर ही लागू है। MSMED ACT 2006 की धारा 2(g) में जो “एंटरप्राइज” की परिभाषा दी गई है, उसमें ट्रेडर्स को शामिल नहीं किया गया है। यानी अगर आपने किसी व्यापारी या ट्रेडर से माल खरीदा है तो यह प्रावधान लागू नहीं होगा। इतना ही नहीं, यह प्रावधान केवल सूक्ष्म एवं लघु इकाइयों से की गई खरीद पर ही लागू है, इसमें मध्यम उद्यम शामिल नहीं है।  

हाल ही में “ट्रेडर्स” को भी MSMED ACT 2006 में शामिल किया गया था, लेकिन वह केवल Priority Sector के लोन के लिए था। इसी कारण से इस सम्बन्ध में एक विवाद या भ्रम चल रहा है, लेकिन अभी भी इस कानून के तहत एंटरप्राइज की परिभाषा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इसलिए, ट्रेडर्स इस प्रावधान से बाहर हैं। यदि ट्रेडर्स से कोई खरीद की जाती है तो उस पर 43B के प्रावधान लागू नहीं होंगे। यहां यह ध्यान में रखना होगा कि यदि ट्रेडर किसी SME से माल खरीदते हैं तो उनको समय पर भुगतान करना ही होगा, वरना उन पर इस धारा के प्रावधान लागू हो जाएंगे।

2. यदि क्रेता और विक्रेता आपस में एक एग्रीमेंट कर ले हैं कि वे भुगतान 90 दिन में करेंगे, तब क्या भुगतान की अवधि 90 दिन हो जाएगी?

नहीं, एग्रीमेंट के जरिये 15 दिन की अवधि को 45 दिन तक बढाया जा सकेगा। लेकिन 45 दिन से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकेगा। इसलिए यदि क्रेता और विक्रेता आपस में 90 दिन में भुगतान का कोई अग्रीमेंट कर भी लेते हैं तो भी यह प्रावधान 45 दिन बाद लागू हो जाएगा। MSMED ACT 2006 के अनुसार यदि क्रेता और विक्रेता के बीच कोई एग्रीमेंट नहीं है, तो भुगतान 15 दिन में और यदि एग्रीमेंट है तो भुगतान 45 दिन में हो जाना चाहिए।    

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3.क्या पूरे वर्ष ही धारा 43B के इस प्रावधान से बचने के लिए 15 दिन या 45 दिन में भुगतान करना होगा?

आयकर के इस प्रावधान के तहत पूरे साल यदि भुगतान देरी से होती है, लेकिन 31 मार्च 2024 के पहले भुगतान हो जाता है तो फिर इस धारा 43 B(h) के तहत कुछ भी नहीं जुड़ेगा क्योंकि देरी से किया गया भुगतान, जब भी किया जाए उस वित्त वर्ष में छूट मिल जाएगी। इस प्रकार यदि यह भुगतान 31 मार्च 2024 को या इसके पहले  हो जाता है तो फिर उसकी छूट मिल जाएगी। भुगतान में 15 दिन या 45 दिन से अधिक देरी होती है तो फिर भुगतान की छूट उस वर्ष में मिलेगी जिस वर्ष में भुगतान  किया जाता है।

4. क्या यह प्रावधान उन्हीं निर्माताओं या सेवा प्रदाताओं द्वारा बेचे गए माल या सेवा पर लागू होगा जो MSMED ACT 2006 के तहत रजिस्टर्ड हैं?

MSMED ACT 2006 की धारा 2(n) में जो सप्लायर की परिभाषा दी गई है, उसके अनुसार “सप्लायर” वह है जो इस ACT की धारा 8(1) तहत एक मेमोरेंडम दाखिल करता है, जिसे आप रजिस्ट्रेशन ( उद्यम आधार)  भी कह सकते हैं। इसी कानून की धारा-15, जो कि भुगतान की समयसीमा का निर्धारण करती है उसमें भी “सप्लायर” शब्द का जिक्र है और MSMED ACT 2006 यही धारा 15 आयकर कानून की इस नई धारा 43B(h) का आधार है।इसलिए यह प्रावधान तभी लागू होगा जब कि आपका विक्रेता इस कानून के तहत धारा 8(1)  में लिखा मेमोरेंडम प्रस्तुत कर  चुका हो अर्थात उद्यम आधार जारी करवा चुका हो।

यह प्रावधान मामले को और भी उलझा देता है, क्योंकि अब हर क्रेता को पहले यह मालूम करना होगा कि उसके सप्लायर ने MSMED ACT 2006 के तहत मेमोरेंडम भरा है या नहीं, उसने उद्यम आधार जारी करवाया भी है या नहीं।

5. सूक्ष्म एवं लघु इकाइयाँ (Micro and small enterprises) क्या हैं?

सूक्ष्म एवं लघु इकाइयों के लिए टर्नओवर एवं प्लांट, मशीनरी एवं उपकरण में निवेश की Composite सीमा इस प्रकार तय की गई है:

इकाई का प्रकारप्लांट, मशीनरी एवं उपकरण में निवेशटर्नओवर
सूक्ष्म उद्यम (Micro)1 करोड़ रूपये से अधिक नहीं 5 करोड़ रु से अधिक नहीं  
लघु उद्यम (Small)10 करोड़ रूपये से अधिक नहीं50 करोड़ रु से अधिक नहीं  

6. 43B के तहत पूरे वर्ष 15 एवं 45 दिन के भुगतान की अवधि को ध्यान में नहीं रखना है, लेकिन इस बात का ध्यान रखना है कि भुगतान वित्त वर्ष की समाप्ति के अंतिम दिन के पहले हो जाए। इसे स्पष्ट करें।

आइए इसे एक उदहारण से समझते हैं। यदि किसी करदाता ने माइक्रो या स्माल इंटरप्राइजेज से कोई माल 10 लाख रुपए में 1 अप्रैल 2023 को खरीदा है, तो MSMED ACT 2006 के अनुसार 45 दिन के हिसाब से भी इसका भुगतान 15 मई  2023 को हो जाना चाहिए। अब अगर इसका भुगतान 15  मई  2023 तक नहीं होता है तो अब यह खर्च व्यापारिक आधार पर नहीं मिलकर वित्तीय वर्ष में भुगतान के आधार पर मिलेगा। अब इसका भुगतान 31 मार्च 2024 तक भी हो जाता है तो भी भुगतान के आधार पर यह खर्च वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिल जाएगा। लेकिन यदि इसका भुगतान 31 मार्च 2024 के बाद किया जाता है तो फिर वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसकी छूट नहीं मिलेगी और इसकी छूट उस करदाता को तब मिलेगी जब इसका भुगतान कर दिया जाए।  

आइए एक और स्थिति देखें। माल 25 फरवरी 2024 को खरीदा और 10 अप्रैल 2024 तक यदि भुगतान कर दिया, तो भी इस खर्च की छूट वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिल जायेगी क्योंकि इसके भुगतान की MSMED ACT के तहत निर्धारित अधिकतम तिथि ही 10 अप्रैल 2024 है। इस तिथि तक भुगतान हो गया है तो इसकी छूट वित्त्तीय वर्ष 2023-24 में ही मिल जाएगी।  

इन दोनों स्थितियों में यह मान लिया गया है कि क्रेता और विक्रेता के मध्य भुगतान करने का 45 दिन का अनुबंध है और यदि ऐसा कोई अनुबंध नहीं है तो फिर यह अवधि 15 दिन ही होगी।  

इन दोनों उदहारणों से यह स्पष्ट है कि आयकर कानून के इस नए प्रावधान 43B(h) के अनुसार भुगतान की इस अवधि में पूरे वर्ष के दौरान यदि देरी भी हो तो कोई फर्क नही पड़ेगा बशर्ते वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पहले भुगतान हो जाए।  

7. क्या इस प्रावधान का लघु/सूक्षम उद्योगों को हमेशा लाभ ही होगा ?

वैसे तो सूक्ष्म और छोटे उद्यम को भुगतान समय पर ही मिलना चाहिए, लेकिन इस प्रावधान से हमेशा ही सूक्ष्म और लघु उद्यम को लाभ होगा ऐसा व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। आइए इसे भी एक उदहारण के जरिये समझने का प्रयास करें: 

यदि किसी करदाता ने  माइक्रो या स्माल इंटरप्राइजेज से कोई माल 10 लाख रुपए में 1 अप्रैल 2023 को खरीदा है तो 45 दिन के हिसाब से भी इसका भुगतान 15 मई 2023 को हो जाना चाहिए, लेकिन इसका भुगतान 31 मार्च 2024 तक भी हो जाता है तो भी भुगतान के आधार पर छूट क्रेता को मिल जाएगी। इसलिए व्यवहारिक रूप से इस प्रावधान का प्रभाव तब ही होगा जब कि खरीद वित्त वर्ष के आखिरी के महीनों में हुई हो। लेकिन एक बात तो है ही कि उन्हें कम से कम 31 मार्च तक तो भुगतान मिलने की संभावना बढ़ ही जाएगी।

लेकिन इस बात की भी आशंका है कि वित्त वर्ष के आखिरी के महीनों में 43B के प्रावधान से बचने के लिए क्रेता सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों से माल खरीदना कम कर दें, और और ट्रेडर्स से खरीद बढ़ा दें। यदि ऐसा होता है तो सूक्ष्म और लघु इकाइयों को इस प्रावधान से लाभ के साथ-साथ नुकसान होने की भी आशंका बढ़ जाती है।

8.  यह प्रावधान धारा 44AD जैसी धाराओं, जिनमें अनुमानित आय दिखाने का प्रावधान है पर भी लागू होगा?

इस विषय में अलग-अलग राय उपलब्ध है] लेकिन इस समय व्यवहारिक रूप से देखें और अब अधिकांश विशेषज्ञों जो राय बन रही है उसके अनुसार धारा 44AD जैसी धाराओं के तहत आने वाले निर्धारिती पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा।  

आइये इसके लिए धारा 44AD को देख लें जिसमें यह लिखा है कि धारा 44AD पर धारा 28 से लेकर 43C तक का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।  

Section 44AD(1) :- Notwithdtanding anything to the Contrary contained in Section 28 to 43 C in case of eligible assessee ………. 

लेकिन दूसरी और हम यदि धारा 43B को देखे तो वहां भी एक RIDER लगा हुआ है, जहां यह लिखा है कि धारा 43B को लागू करते समय इस धारा पर आयकर कानून की किसी भी धारा का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यानी धारा 43B आयकर कानून की हर धारा को सुपर सीड करती है, इसलिए धारा 43B का प्रभाव सामान्य रूप से अधिक प्रतीत होता है, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि धारा 44AD के रिटर्न्स पर भी 43B का प्रभाव नहीं रहेगा लेकिन धारा 44AD स्वयं भी धारा 43B को सुपरसीड करती है, इसलिए व्यवहारिक रूप से अभी भी 44AD के रिटर्न भरते समय 43B के इस प्रावधान का ध्यान रखा जाना आवशयक नहीं है। इस समय अधिकांश विशेषज्ञों की यही राय है। इसलिए अभी आ यह मान सकते हैं कि यह प्रावधान 44AD में भरे जाने वाले रिटर्न्स पर लागू  नहीं है।. 

वैसे भी आप देखें तो व्यवहारिक रूप से इस प्रावधान को अनुमानित आय के रिटर्न पर लागू करना किस तरह संभव होगा ? लेकिन यह सवाल विवादस्पद जरूर है और सरकार को इस सम्बन्ध में स्पष्टीकरण जारी कर देना चाहिए।

9. क्या पिछले वर्ष का बकाया भी इस धारा 43B(h) के अधीन करयोग्य हो जाएगा? 

यदि आपका पिछले साल का बकाया है और इस साल भी आपने माल खरीदा है तो फिर इस साल का जो भी आप भुगतान करते हैं, उसे पिछले साल के बकाया माना जा सकता है। ऐसे में संकट पैदा हो सकता है। इसलिए यदि आपका पिछला बकाया है और इस साल भी आपने माल खरीदा है तो फिर इस प्रावधान का ध्यान रखना जरूरी होगा। आइये इस समस्या को एक उदाहरण से समझने का प्रयास करें :-

धारा 43बी: एक कंपनी की पुस्तकों में 31-03-2023 को एक लेनदार का शेष 40 लाख रुपए था और वर्ष के दौरान 23-24 खरीद 30 लाख रुपए थी और वर्ष के दौरान उस लेनदार को किया गया कुल भुगतान 60 लाख था। अब क्लोजिंग बैलेंस 10 लाख है।

वर्ष के दौरान खरीदारी 30 लाख और भुगतान 60 लाख था और यदि यह माना जाए कि पहला भुगतान पिछले साल का था तो फिर यह बचा हुआ 10 लाख रुपया इस धारा के अधीन आ सकता है। इस समय असेसमेंट फेसलेस हो रहें है तो इस मामले में आप सुरक्षात्मक रुख ही रखें तो उचित रहेगा।  

ये सभी सवाल-जवाब आपको इस विषय में समझने का मौका देंगे। हो सकता है कि आप कुछ जवाबों से सहमत नहीं हों। इनमें से एक सवाल पर तो मेरी स्वयं की राय पहले से बदलती हुई नजर आती है, लेकिन जो कुछ भी लिखा गया है वह आपको इस महत्वपूर्ण विषय पर सोचने और समझने का अवसर अवश्य देगा।

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