आयकर कानून के अनुसार, एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपए तक के कुल उपहार इनकम टैक्स के दायरे से बाहर रहते हैं। लेकिन यदि 50 हजार रुपए से अधिक के उपहार मिलते हैं तो पूरी रकम को अन्य स्रोत से हुई आय माना जाता है और उस पर इनकम टैक्स लगता है।
कोई त्योहार हो या खुशी का मौका हम सभी अपने मित्रों एवं रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। इसमें मिठाई और मेवे से लेकर मूल्यवान उपहार जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान या सोने-चाँदी के सिक्के या अन्य आइटम भी हो सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस तरह के उपहारों पर भी आपको इनकम टैक्स देना पड़ सकता है?
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आयकर अधिनियम की धारा-56 (2) के अनुसार, एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपए तक के कुल उपहार इनकम टैक्स के दायरे से बाहर रहते हैं। लेकिन यदि 50 हजार रुपए से अधिक के उपहार मिलते हैं तो पूरी रकम को अन्य स्रोत से हुई आय माना जाता है और उस पर इनकम टैक्स लगता है। कर्मचारी को नियोक्ता से एक वित्त वर्ष में 5,000 रुपए तक का उपहार ही टैक्स फ्री होता है। उससे अधिक का उपहार होने पर कर्मचारी को वेतन से आय मानते हुए उस पर टैक्स देना होता है। यदि कोई आयकर दाता टैक्सेबल उपहारों को अपने इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दर्शाता है तो ऐसी दशा में उस पर पेनल्टी लग सकती है।
किन लोगों से मिलने वाला गिफ्ट होता है टैक्स-फ्री
किसी नजदीकी रिश्तेदार से प्राप्त उपहार टैक्स के दायरे से बाहर होता है। कौन-से रिश्तेदारों से मिलने वाले उपहार टैक्स मुक्त होंगे, इसके लिए आयकर अधिनियम में रिश्तेदारों की परिभाषा दी गई है। पति-पत्नी, भाई-बहन एवं पति या पत्नी के भाई-बहन, माता या पिता के भाई-बहन यानी मामा-मौसी, दादा-दादी, नाना-नानी, पति या पत्नी के दादा-दादी या नाना-नानी, बेटे या बेटी द्वारा दिया गया उपहार भी रिश्तेदारों की परिभाषा में आता है। आयकर विभाग उपहारों के लेनदेन की जांच कर सकता है। इस पर स्पष्टीकरण भी मांगा जा सकता है। इस दौरान विभाग सामान्यत: उपहारदाता के पहचान सम्बंधित दस्तावेज, उनके बैंक स्टेटमेंट और आय के स्त्रोत सम्बंधी दस्तावेज मांगता है। इसलिए जब भी कोई महंगा उपहार लें तो उसका ब्योरा एवं संभव हो तो उपहार डीड बनाकर अपने पास जरूर रखें।
शादी पर मिले उपहार पर टैक्स लगेगा या नहीं
यदि किसी व्यक्ति को उसकी शादी पर मित्रों, रिश्तेदारों या अन्य व्यक्ति से उपहार मिले हैं तो इन पर आयकर नहीं देना पड़ता है। लेकिन जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे मौकों पर मिलने वाले उपहार पर टैक्स देना होता है। वसीयत या विरासत में प्राप्त उपहार पर भी इनकम टैक्स नहीं लगता है।
कीर्ति जोशी पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। देश के प्रमुख अखबारों दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में टैक्स और अन्य वित्तीय मामलों पर लिखते रहते हैं।