Income tax: अगर आपने ऐसे किसी ट्रस्ट या संस्था को दान दिया है और अब आप इसकी रसीद दिखाकर आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत टैक्स छूट का लाभ लेना चाह रहे हैं तो सावधान हो जाइए। अब आपको सिर्फ रसीद दिखाकर टैक्स छूट नहीं मिलेगी। आयकर विभाग ने धारा 80जी के तहत टैक्स छूट लेने के लिए फॉर्म 10बीई को अनिवार्य कर दिया है। यह फॉर्म दान हासिल करने वाली संस्था जारी करती है।
बता दें, पहले दानदाताओं को Income tax में धारा 80जी के तहत टैक्स छूट हासिल करने के लिए बतौर सबूत दान की रसीद ही पेश करनी पड़ती थी। मगर वित्त वर्ष 2022-23 से नियम बदल गए। अब दान लेने वाली संस्था से फॉर्म 10बीई (Form 10BE) लेना जरूरी है। यह फॉर्म 31 मई से पहले पेश भी करना पड़ता है।
क्या है आयकर की धारा 80जी?
आयकर अधिनियम की धारा 80G लोगों को पात्र चैरिटेबल ट्रस्ट या संस्थाओं को दान देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत पात्र संस्थाओं को दिए गए दान पर 100 फीसदी कटौती क्लेम की जा सकती है। यह कटौती भी सिर्फ पुरानी कर व्यवस्था में मौजूद है।
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क्या है फॉर्म 10बीई?
दान प्राप्त करने वाली संस्था फॉर्म 10बीडी के जरिए सरकार को दानकर्ता का विवरण देती है। साथ ही उसे दानकर्ता को दान प्रमाणपत्र (फॉर्म 10बीई) भी जारी करना पड़ता है। यही दान का सबूत होता है। आयकर की धारा धारा 80जी के तहत टैक्स छूट हासिल करने के लिए करदाता को धर्मार्थ संस्था से फॉर्म 10बीई के रूप में दान का प्रमाणपत्र लेना जरूरी होता है। दान प्राप्त करने वाले संगठन को टैक्स पोर्टल से फॉर्म 10 बीई डाउनलोड करके प्रमाणपत्र दानदाता को देना चाहिए।
फॉर्म 10बीई को लेकर इन बातों का रखें ध्यान
- दानकर्ता को अगर तय तारीख तक फॉर्म 10बीई नहीं मिलता है, तो उसे फौरन दान लेने वाली संस्था से संपर्क करना चाहिए।
- सुनिश्चित करें कि 80जी के तहत वे दान की जितनी राशि के बदले छूट मांग रहे हैं, उतनी ही राशि फॉर्म 10बीई में लिखी हुई है।
- फॉर्म 10बीई में दी गई जानकारी को 80जी में बताई गई जगहों पर ठीक से भरें। इसमें संस्था का नाम, पंजीयन क्रमांक और दान राशि भरनी होती है।
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दान राशि में अंतर होने पर हो सकती है Income tax की जांच
करदाता द्वारा रिटर्न में किए गए दावे और फॉर्म 10बीई में लिखी गई राशि में फर्क मिला तो Income tax विभाग जांच शुरू कर सकता है। इसीलिए दानकर्ता को आयकर रिटर्न में दावा की गई दान राशि को सही साबित करने के लिए पर्याप्त कागजात और सबूत भी अपने पास रखने चाहिए। जिस साल में दान के बदले टैक्स छूट का दावा किया है, उसके बाद कम से कम चार साल के बैंक स्टेटमेंट भी आपके पास होने चाहिए।
धारा 80जी में संशोधन इसलिए किया गया था ताकि मंजूरी प्राप्त संगठनों को फॉर्म 10बीडी आयकर विभाग के पास जमा करना पड़े। आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत मंजूरी पाने वाले धर्मार्थ संगठनों को मिले दान का मिलान आयकर रिटर्न में दान देने का दावा करने वालों की बताई कर कटौती की राशि से करना और उसका सत्यापन करना आसान काम नहीं होता। सत्यापन की इसी प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए 2020 में धारा 80जी में संशोधन किया गया। इससे करदाताओं के कर छूट के फर्जी दावों का खतरा कम हो गया।
Income tax: सिर्फ ऐसी संस्थाएं जारी कर सकती हैं फॉर्म 10बीई
जिन संस्थाओं के पास धारा 80जी का प्रमाणपत्र है, वे Income tax कानूनों के तहत दान प्राप्त करने की पात्र हैं। इससे वे दान स्वीकार कर पाती हैं और उन्हें दान देने वाले कर में छूट का दावा कर सकते हैं। आपको अपने रिकॉर्ड में रखने के लिए रसीद की एक कॉपी मिल सकती है मगर टैक्स बेनिफिट का दावा करने के लिए यह काम नहीं आएगी, उसके लिए फॉर्म 10बीई अब जरूरी हो गया है।
जितेंद्र वर्मा जीएसटी और इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर हैं और इन दोनों ही जटिल विषयों पर गहरी जानकारी रखते हैं। मनीलाभ डॉट कॉम के लिए कॉलम लिखने से पहले वह प्रमुख अखबार दैनिक भास्कर के लिए भी टैक्स के विषय पर लिख चुके हैं।