
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग (Priority Sector Lending) के दिशानिर्देशों में व्यापक संशोधन किए हैं। यह नए नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। इनका मुख्य उद्देश्य MSME, कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, सस्ते आवास तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, RBI के इन नए नियमों से न सिर्फ अर्थव्यवस्था के मूलभूत क्षेत्रों को फायदा होगा, बल्कि बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों के लिए भी यह एक फायदे का सौदा होगा।
प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग क्या है और क्यों हैं यह नए नियम महत्वपूर्ण?
प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग RBI द्वारा निर्धारित एक ऐसी बैंकिंग व्यवस्था है, जिसके तहत बैंकों को अपने कुल कर्ज का एक निश्चित हिस्सा (वर्तमान में 40%) कृषि, MSME, शिक्षा, आवास जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में देना अनिवार्य होता है। इसका मुख्य उद्देश्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना है।
नए दिशानिर्देशों में RBI ने प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग के दायरे को और विस्तृत करते हुए कई नई श्रेणियों को जोड़ा है तथा कर्ज सीमाओं में खासी वृद्धि की है। आइए विस्तार से जानते हैं इनमें क्या-क्या बदलाव किए गए हैं:
RBI के नए प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग दिशानिर्देशों की मुख्य बातें
1. आवास ऋण (Housing Loans) में बड़ी राहत
50 लाख+ जनसंख्या वाले शहर:
- ऋण सीमा: ₹35 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख
- आवास की अधिकतम लागत: ₹45 लाख से बढ़ाकर ₹63 लाख
10-50 लाख जनसंख्या वाले शहर (नई श्रेणी):
- ऋण सीमा: ₹45 लाख
- आवास की अधिकतम लागत: ₹57 लाख
10 लाख से कम जनसंख्या वाले शहर:
- ऋण सीमा: ₹25 लाख से बढ़ाकर ₹35 लाख
- आवास की अधिकतम लागत: ₹30 लाख से बढ़ाकर ₹44 लाख
2. Green Energy को मिला बड़ा प्रोत्साहन
भारत सरकार ने 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसी को ध्यान में रखते हुए RBI ने ग्रीन एनर्जी सेक्टर के लिए PSL ऋण सीमा में वृद्धि की है:
- बड़ी परियोजनाओं के लिए: ₹30 करोड़ से बढ़ाकर ₹35 करोड़ प्रति उधारकर्ता
- घरेलू स्तर पर: ₹10 लाख तक का ऋण (पहले की तरह)
3. कृषि और MSME क्षेत्र के लिए बड़ी घोषणाएं
किसानों और छोटे उद्यमियों को राहत देने के लिए RBI ने निम्नलिखित बदलाव किए हैं:
कृषि कर्ज:
- NWR/eNWR के खिलाफ ऋण सीमा ₹75 लाख से बढ़ाकर ₹90 लाख
- कृषि उत्पाद ऋण ₹2 करोड़ से बढ़ाकर ₹4 करोड़
- FPO/FPC को ऋण सीमा ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़
MSME और कुटीर उद्योग:
- कारीगरों और ग्रामोद्योग के लिए ऋण सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख
4. कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान
- महिलाओं के लिए ऋण सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए की गई
- ट्रांसजेंडर समुदाय को पहली बार प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग में शामिल किया गया
5. शहरी सहकारी बैंकों (UCB) के लिए राहत
- UCBs के लिए प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग लक्ष्य 75% से घटाकर 60% कर दिया गया
प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग का अब तक का प्रदर्शन?
RBI के आंकड़ों के अनुसार, FY24 में सभी बैंक समूहों ने 40% का PSL लक्ष्य पार किया है:
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBs): 42.6%
- निजी बैंक (PVBs): 47.4%
- विदेशी बैंक (FBs): 41.6%
- लघु वित्त बैंक (SFBs): 90.6%
प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग में और बदलाव की गुंजाइश
RBI ने PSL प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ और सुझाव दिए हैं:
- इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण को PSL में शामिल करना: सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे जैसी परियोजनाओं को प्राथमिकता क्षेत्र का दर्जा दिया जा सकता है।
- प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग बॉन्ड्स की शुरुआत: बैंक प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिग लक्ष्य पूरा न कर पाने की स्थिति में बॉन्ड खरीद सकेंगे।
- ग्रीन फाइनेंस को अलग श्रेणी: नवीकरणीय ऊर्जा, ईवी, एनर्जी एफिशिएंसी प्रोजेक्ट्स के लिए अलग PSL श्रेणी बनाई जा सकती है।