देश में जब बैंकिंग का विस्तार हुआ तो बैंकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती डिफॉल्ट से निपटना थी। होता ये था कि एक बैंक से डिफॉल्ट करने के बाद कोई व्यक्ति दूसरे बैंक से लोन पा जाता था और वहां भी डिफॉल्ट कर देता था। इससे निपटने के लिए साल 2000 में क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (CIBIL) की स्थापना हुई।
देश के सभी बैंक और एनबीएफसी इसे अपने ग्राहकों के लेनदेन का ब्योरा भेजते हैं, जिसके आधार पर यह उनका क्रेडिट स्कोर बनाती है। इसका फायदा ये हुआ कि अब एक भी बैंक से डिफॉल्ट किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर खराब कर सकता है और उसे बैंकिंग सिस्टम में अवांछित बना सकता है।
आज देश में एक से अधिक क्रेडिट ब्यूरो हैं और किसी भी लोन आवेदन में क्रेडिट स्कोर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हम आपको क्रेडिट स्कोर से जुड़ी 6 सबसे जरूरी बात बताने जा रहे हैं।
क्रेडिट स्कोर क्या है और यह कैसे बनता है?
क्रेडिट स्कोर तीन अंकों का एक नंबर है, जो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री दर्शाता है। ये आमतौर पर 300 से 900 के बीच होता है। किसी लोन के लिए आए आवेदन पर विचार करते समय बैंक एवं एनबीएफसी क्रेडिट स्कोर के आधार पर आवेदक की वित्तीय साख का मूल्यांकन करते हैं। आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज जानकारी के आधार पर क्रेडिट ब्यूरो द्वारा आपका क्रेडिट स्कोर कैलकुलेट किया जाता है। क्रेडिट स्कोर का निर्धारण आपके लोन रीपेमेंट रिकॉर्ड, क्रेडिट हिस्ट्री, क्रेडिट मिक्स, क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो (सीयूआर) आदि के आधार पर किया जाता है।
कितने क्रेडिट स्कोर को अच्छा माना जाता है। इसका फायदा क्या होता है?
लोन और क्रेडिट कार्ड जारी करते समय बैंक और एनबीएफसी 750 और उससे अधिक के क्रेडिट स्कोर को अच्छा मानते हैं। इससे आपके लोन या क्रेडिट कार्ड आवेदन मंज़ूर होने की संभावना तो बढ़ती ही है, साथ ही एक अच्छा क्रेडिट स्कोर आपको कम ब्याज दर पर लोन मिलने, शून्य प्रोसेसिंग फीस पर लोन या उसमें कमी और प्री-अप्रूव्ड क्रेडिट कार्ड और लोन ऑफर प्राप्त करने में मदद करता है। कुछ सेक्टर में अब नौकरी के आवेदनों में भी क्रेडिट स्कोर देखा जाने लगा है।
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क्रेडिट स्कोर में सुधार कैसे करें?
क्रेडिट स्कोर में सुधार करने के लिए अच्छी क्रेडिट आदतों का पालन करना जरूरी है। इसमें समय पर लोन ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल का पूरा भुगतान करना, सिक्योर्ड और अन-सिक्योर्ड लोन का बैलेंस्ड क्रेडिट मिक्स बनाए रखना, सीयूआर (क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेशियो) को 30% से कम रखना, जिस लोन में आप गारंटर हैं उसके रीपेंमेंट पर नज़र रखना, कम समय में ज़्यादा लोन या क्रेडिट कार्ड अप्लाई ना करना शामिल है। समय-समय पर क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते रहना चाहिए ताकि उसमें कोई गलत जानकारी आने पर पता चल सके।
कभी लोन नहीं लिया, इसलिए क्रेडिट स्कोर नहीं है। अपनी क्रेडिट हिस्ट्री कैसे शुरू करें?
आप क्रेडिट कार्ड लेकर और समय पर बिल का भुगतान कर अपना क्रेडिट स्कोर बना सकते हैं। जो लोग कम आय या रिस्की जॉब प्रोफाइल आदि के कारण रेगुलर क्रेडिट कार्ड नहीं सकते, वो सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का विकल्प चुनकर अपना क्रेडिट स्कोर बना सकते हैं। सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड आपके फिक्स्ड डिपॉज़िट के बदले जारी किए जाते हैं। सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किए गए ट्रांजेक्शन की जानकारी भी क्रेडिट ब्यूरो को दी जाती है।
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कम क्रेडिट स्कोर होने के बावजूद भी लोन कैसे ले सकता है?
क्रेडिट स्कोर कम होने से लोन लेने के लिए विकल्पों का अंत नहीं हो जाता है। आप कम एलटीवी रेश्यो (सिक्योर्ड लोन के मामले में) का विकल्प चुन सकते हैं या अपने आवेदन में सह-आवेदक या गारंटर जोड़ सकते हैं। एनबीएफसी प्राय: कम क्रेडिट स्कोर पर भी लोन प्रदान करते हैं, लेकलि उनकी ब्याज दर अधिक होती है। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि ज़्यादा ब्याज दर पर लोन लेने के राज़ी हो जाएं और बाद में जब क्रेडिट स्कोर बढ़ जाए तो बैलेंस ट्रांसफर विकल्प चुनकर कम ब्याज दर पर ट्रान्सफर कर लें।
क्या क्रेडिट स्कोर पर लगातार निगाह रखना ज़रूरी है?
आपके क्रेडिट स्कोर का कैलकुलेशन आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज जानकारी के आधार पर किया जाता है, इसलिए समय-समय पर आपनी क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करने की आदत बनाना महत्वपूर्ण है। कम से कम तीन महीने में एक बार क्रेडिट रिपोर्ट जरूर जांचनी चाहिए। क्रेडिट रिपोर्ट समय-समय पर जांचने से न केवल अपने क्रेडिट बिहेवियर पर नज़र रखने में आसानी होती है, बल्कि रिपोर्ट में गलत जानकारी को ढूढने में भी मदद मिलती है। कोई गलत जानकारी आपके स्कोर को कम कर सकती है। कोई भी गलत जानकारी मिलने पर, अपने बैंक और ब्यूरो से संपर्क करके इसकी सूचना दें। क्रेडिट रिपोर्ट में सुधार स्वयं आपके क्रेडिट स्कोर को बढ़ा देगा।
एआर हेमंत बैंकबाजार के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट (कम्युनिकेशंस) हैं। हेमंत के पास बिजनेस पत्रकारिता और पब्लिक रिलेशन का दो दशकों से अधिक का अनुभव है। हेमंत बैंकबाजार के संस्थापक आदिल शेट्टी के साथ मिलकर पर्सनल फाइनेंस पर चर्चित पुस्तक ‘द बी, द बीटल एंड द मनी बग’ लिख चुके हैं।