मुंबई। क्रेडिट कार्ड के जरिए मकान किराया और ट्यूशन फीस जैसी पीयर-टू-पीयर (P2P) लेनदेन पर जल्द ही रोक (RBI restricts credit card usage) लग सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ऐसी सुविधाएं देने वाली फिनटेक कंपनियों पर सख्ती करने जा रहा है। उसने इस बारे में जिम्मेदार फिनटेक कंपनियों से सवाल जवाब करना भी शुरू कर दिया है।
अंग्रेजी अखबार बिजनेस लाइन के मुताबिक, रिजर्व बैंक को ऐसे कई मामले मिले हैं जहां लोगों ने रेंट और ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया है।
कुछ फिनटेक कंपनियां कस्टमर्स को उनके अधिकृत मर्चेंट अकाउंट में क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने की सुविधा देती हैं। ये कंपनियां उस रकम को तुरंत प्राप्तकर्ता के बैंक खाते में जमा करा देती हैं। इस सर्विस के लिए ये कंपनियां कमीशन लेती हैं।
बिजनेस लाइन के मुताबिक, आमतौर पर फिनटेक कंपनियां ऐसे लेनदेन पर जीएसटी के अलावा 1.5-3 फीसदी का कमीशन लेती हैं। यानी क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 25,000 के किराए के भुगतान पर ₹400-600 का अतिरिक्त शुल्क या शुल्क लगेगा।
क्रेडिट कार्ड से p2P लेनदेन में क्या है प्रॉब्लम?
बिजनेस लाइन ने रिजर्व बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा कि “क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन सिर्फ व्यापारियों और ग्राहकों के बीच होने चाहिए। अगर किसी थर्ड पार्टी के एस्क्रो अकाउंट से पैसा घुमाया जा रहा है, तो यह नियमों को तोड़ना है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”
मौजूदा नियमों के अनुसार, क्रेडिट कार्ड को पहले से स्वीकृत रिवॉल्विंग क्रेडिट लिमिट के साथ जारी किया गया एक फिजिकल या वर्चुअल पेमेंट इंस्ट्रूमेंट माना जाता है। इसका इस्तेमाल सामान और सेवाएं खरीदने या कैश एडवांस लेने के लिए किया जा सकता है।
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, “थर्ड पार्टी के जरिए जो फंड किसी भी अनधिकृत तरीके से घुमाए जा रहे हैं, उनकी जांच की जा रही है। रेंट पेमेंट इस मामले में सबसे बड़े सेगमेंट में से एक है।
जानकारी के मुताबिक, CRED, OneCard और NoBroker जैसी फिनटेक कंपनियां अभी इस तरह की सर्विस देती हैं। Amazon Pay और Paytm पहले क्रेडिट कार्ड से रेंट पेमेंट की सुविधा देते थे, लेकिन अब उन्होंने इसे बंद कर दिया है।
ऐसे ट्रांजैक्शन न सिर्फ क्रेडिट कार्ड नियमों का उल्लंघन करते हैं बल्कि ये इन कंपनियों के लाइसेंस के दायरे से भी बाहर हैं। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने पिछले महीने Visa को अपनी BPSP सर्विस देने से रोक दिया था। इस सर्विस के जरिए कंपनियां बिचौलियों (आमतौर पर फिनटेक कंपनियां) के जरिए उन संस्थाओं को भी कार्ड पेमेंट कर सकती थीं, जो खुद कार्ड पेमेंट स्वीकार नहीं करती हैं।
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