अगर आपको लगता है कि आप बीते कुछ प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) में पैसा बनाने से चूक गए हैं, तो निराश मत होइए। अगले कुछ महीनों में आपको आईपीओ से पैसे बनाने के बड़े मौके मिलने वाले हैं। दरअसल, इस साल IPO के जरिए पूंजी जुटाने में सारे रिकॉर्ड टूटने जा रहे हैं।
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 8 कंपनियों ने अब तक 14,600 करोड़ रुपए जुटाए हैं और अगली तीन तिमाहियों में 7 कंपनियां 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक की पूंजी जुटाने की तैयार कर रही हैं। इसके अलावा, अन्य कई कंपनियां भी आईपीओ जा सकती हैं।
प्राइम डेटाबेस के अनुसार, आने वाले महीनों में सबसे बड़ा IPO दक्षिण कोरियाई कार कंपनी हुंडई मोटर्स की भारतीय इकाई हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (HMIL) लाने जा रही है। कंपनी अकेले ही लगभग 25,000 करोड़ जुटा सकती है, जो एलआईसी के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देगी। एलआईसी ने वित्त वर्ष 2023 में 21,000 करोड़ रुपए जुटाए थे।
हुंडई मोटर इंडिया के अलावा, बजाज हाउसिंग फाइनेंस (7,000 करोड़), स्विगी (8,000 करोड़), एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर (7,000 करोड़), ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (5,500 करोड़), एनएसडीएल (4,500 करोड़) और वारी एनर्जीज (3,000 करोड़) भी इस वित्त वर्ष में IPO लाने की तैयारी कर रहे हैं।
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प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया कहते हैं, निवेश बैंकरों और आईपीओ जारीकर्ताओं को भरोसा है कि बड़े इश्यू को आगे बढ़ाने के लिए बाजार में पर्याप्त पैसा है। हाल के दिनों में हमने जो कुछ ब्लॉक डील देखी हैं, वे इसका प्रमाण हैं।
अंग्रेजी अखबार बिजनेस लाइन ने मार्केट एनालिस्ट के हवाले से लिखा है कि IPO फाइलिंग में अगस्त के मध्य तक तेजी आने की संभावना है, क्योंकि कंपनियां यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं कि उनके अंतिम दायर ऑडिट किए गए नंबर 135 दिनों से पुराने न हों। दिवाली के करीब IPO ऑफरिंग की एक बड़ी लाइन-अप हो सकती है।
सेंट्रम कैपिटल में निवेश बैंकिंग पार्टनर प्रांजल श्रीवास्तव ने बिजनेस लाइन से कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल औसत इश्यू साइज 2-3 गुना हो सकता है। पूंजी का घरेलू प्रवाह मजबूत बना हुआ है, सेकंडरी मार्केट में तेजी है और मंदी के कोई स्पष्ट संकेत नहीं हैं। यदि विदेशी प्रवाह में तेजी आती है, तो हम आईपीओ के लिए एक रिकॉर्ड वर्ष देख सकते हैं।
भारतीय IPO में बढ़ी है विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) की भारतीय IPO में निवेश के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। प्राइम डेटाबेस के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में एफपीआई ने एंकर और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर के रूप में इश्यू राशि का 25 फीसदी हिस्सा खरीदा, जबकि इसी दौरान म्यूचुअल फंड की ओर से 16 फीसदी हिस्सा ही खरीदा गया।
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