नई दिल्ली। भारत ने हार्डवेयर हैंड एवं पावर टूल उद्योग सेक्टर ने 2030 तक मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। अभी इस क्षेत्र में जर्मनी और चीन का दबदबा है, लेकिन भारत ने उनके वर्चस्व को तोड़ दिया है। यह उद्योग कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए नई तरीकों को अपनाने में लगा हुआ है।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय के अधीन आने वाले विकास आयुक्त कार्यालय के निदेशक आरके राय ने यह जानकारी दी। वे प्रगति मैदान में चल रहे इंटरनेशनल हार्डवेयर फेयर इंडिया (एचआईएफ इंडिया) प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
मैनुफैक्चरिंग सेक्टर 2020 से 2030 के बीच 11 फीसदी की दर से बढ़ेगा। हैण्ड टूल्स एवं पावर टूल्स इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा
राय ने बताया कि 2022 में हैण्ड टूल्स का बाज़ार 342.8 मिलियन डॉलर था, जिसके 2029 तक बढ़कर 416.2 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत एशिया-पेसिफिक हैण्ड टूल मार्केट में चीन का मुकाबला करने के लिए तैयार है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल फास्टनर्स का बाज़ार 2018 के बाद से 9.6 फीसदी की दर से बढ़कर 2023 में रु 460 मिलियन तक पहुंच जाएगा। भारत का हार्डवेयर और बिल्डिंग मटीरियल मार्केट लगातार विकसित हो रहा है और उम्मीद है कि यह वैश्विक निर्यात में 1.2 फीसदी योगदान देगा। सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल ने भी खासतौर पर एमएसएमई सेक्टर में निर्माण के मानकों को उपर उठाने का लक्ष्य तय किया है।
एचआईएफ इंडिया ईसेनवेयर्न मैस्से- इंटरनेशनल हार्डवेयर फोयर कोलोग्ने, जर्मनी और कोलन्मैस्से प्राइवेट लिमिटेड की ओर से आयोजित दुनिया की सबसे बड़ी हार्डवेयर टूल एवं एक्सेसरी प्रदर्शनी है। इस प्रदर्शनी में 200 से अधिक इंटरनेशनल प्रदर्शकों और 7000 से अधिक खरीददारों के साथ आईएचएफ दुनियाभर से आधुनिक प्रोडक्ट्स और समाधान लेकर आया है। भारत, ताईवान, जर्मनी, चीन, तुर्की, कोरिया सहित विभिन्न देशों के प्रतिभागी इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
कोलनमैस्से प्राइवेट लिमिटेड के एमडी मिलिंद दीक्षित ने बताया कि भारत ने 2030 तक मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। यह सेक्टर 2020 से 2030 के बीच 11 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ेगा। हैण्ड टूल्स एवं पावर टूल्स इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउन्सिल के चेयरमैन अरूण कुमार गरोडिया ने कहा विश्वस्तरीय चुनौतियों के बाजवूद भारतीय इंजीनियरिंग सेक्टर, खासतौर पर हार्डवेयर उद्योग तेज़ी से विकसित हो रहा है और देश के विकास एवं निर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है।
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