नई दिल्ली। देश में विकसित होने वाली बासमती चावल (Basmati rice) की विभिन्न किस्मों को पाकिस्तान (Pakistan) अपने यहां अवैध रूप से उगा (Illegal cultivation) रहा है। इतना ही नहीं, इनका नाम बदल कर वह इसे दुनियाभर को निर्यात भी कर रहा है। पाकिस्तानी रुपए में आई गिरावट के चलते पाकिस्तान से निर्यात काफी सस्ता पड़ रहा है, इससे भारतीय बासमती निर्यात (Basmati export) पर संकट मंडराता दिख रहा है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने यह खुलासा किया है।
देश में बासमती की नई किस्में तैयार करने वाली संस्था इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRAI) के निदेशक एके सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पाकिस्तान में IARI किस्मों की अवैध बीज बिक्री और खेती पूसा बासमती-1121 (PB-1121) से शुरू हुई। 2003 में जारी की गई और अपने दानों की अतिरिक्त लंबाई के लिए मशहूर इस किस्म को आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान में ‘पीके 1121 एरोमैटिक’ के रूप में पंजीकृत किया गया है। इसे ‘1121 कायनात’ बासमती के रूप में भी बेचा जा रहा है।
2000 के नोट अब भी आपके पास रह गए हैं, जानिए उन्हें बैंक खाते में कैसे जमा करें?
रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन पाकिस्तान में अवैध रूप से बोया जाने वाला बासमती चावल अकेला पीबी-1121 नहीं है। पाकिस्तान IARI की अन्य किस्में भी उगा रहा है, इसमें 2010 और 2013 में जारी पूसा बासमती-6 (PB-6) और PB-1509 शामिल हैं। पीबी-1509 जो अन्य बासमती किस्मों के मुकाबले 20 से 25 दिन पहले पक जाता है। पाकिस्तान में इसका नाम बदलकर ‘किसान बासमती’ कर दिया गया है।
सिंह ने कहा कि हमारी सरकार को पाकिस्तान में बेईमान बीज फर्मों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करनी चाहिए ताकि हमारे किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा हो सके।
तीनों किस्मों को 2021 के अंत में जारी किया गया था, जिसमें IARI ने 2022 के ख़रीफ़ (मानसून) सीज़न में रोपण के लिए लगभग 2,000 किसानों को उनके प्रत्येक आनुवंशिक रूप से शुद्ध बीज की 1 किलोग्राम आपूर्ति की थी। पहले से ही वीडियो हैं – जिनमें हफीजाबाद में अवान राइस मिल्स रिसर्च फार्म, मुल्तान में चादर एग्री फार्म और पंजाब प्रांत के बहावलनगर में नवाब फार्म शामिल हैं – तीन किस्मों के रोग-प्रतिरोध गुणों को उजागर करते हुए, मूल ब्रीडर को भी स्वीकार करते हुए, यानि IARI.
सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमारी सभी किस्मों को बासमती चावल के आधिकारिक रूप से सीमांकित भौगोलिक संकेत क्षेत्र में खेती के लिए बीज अधिनियम, 1966 के तहत अधिसूचित किया गया है। उन्हें पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत भी पंजीकृत किया गया है। यह अधिनियम केवल भारतीय किसानों को किसी भी संरक्षित/पंजीकृत किस्मों के बीज बोने, बचाने, दोबारा बोने, विनिमय करने या साझा करने की अनुमति देता है।
बासमती की “संरक्षित” किस्में पाकिस्तान में कैसे उगाई जा रही हैं?
रिपोर्ट के मुताबिक, एक एकड़ में पीबी-1847 लगाने में केवल 5 किलोग्राम बीज लगते हैं। बदले में उस एकड़ में चार महीनों के भीतर 2,800 किलोग्राम अनाज पैदा होगा। 10% प्रसंस्करण हानि को शामिल करने के बाद भी, इस अनाज का 2,500 किलोग्राम से अधिक हिस्सा अब आगे बुआई के लिए बीज के रूप में पुन: उपयोग करने योग्य है। इस प्रकार, पाकिस्तानी बीज फर्मों को सिर्फ पंजाब या हरियाणा से सिर्फ कुछ किलो चावल की जरूरत होती है। इसके बाद कुछ साल में वह इसे भरपूर मात्रा में तैयार कर लेते हैं।
अनुभवी पत्रकारों की टीम जो पर्दे के पीछे रहते हुए बेहतरीन कंटेट तैयार करने में अपना योगदान देती है। खबरों को संपादित करने के अलावा यह टीम रिसर्च करती है और खुद भी खबरें लिखती है।