नई दिल्ली। प्रसिद्ध उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी टेस्ला (Tesla) के देश में आने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माण को बढ़ावा देने वाली नई नीति को मंजूरी दे दी।
नई नीति के तहत देश में कम से कम 4150 करोड़ रुपए का निवेश करने वाली कंपनी को 35,000 डॉलर और उससे अधिक कीमत वाली कारों को 15% की सस्ती दर पर आयात करने की मंजूरी दी जाएगी। सालाना 8000 कारों तक यह रियायती दर मिलेगी। सामान्यत: भारत आयातित कारों पर उनके मूल्य के आधार पर 70 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक आयात कर लगाता है।
प्रस्तावित नीति के मुताबिक, देश में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी 3 साल के भीतर स्थापित कर देनी होगी और ईवी का प्रोडक्शन शुरू कर देना होगा। कंपनी को तीन साल में 25% और 5 वर्षों के भीतर 50 फीसदी डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (डीवीए) तक पहुंचना चाहिए। डीवीए का मतलब मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल किए गए स्थानीय कलपुर्जों का हिस्सा होता है।
नीति आयोग का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बाजार हिस्सेदारी में तेजी से इजाफा होगा। अगले छह वर्षों में ईवी की हिस्सेदारी दोपहिया वाहन में 35-40%, प्राइवेट कारों में 9-11% और बसों में 13-16% हो जाएगी।
इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनी सोना कॉमस्टार के चेयरमैन और सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के उपाध्यक्ष संजय कपूर ने ईवी नीति का स्वागत करते हुए कहा कि यह नीति न केवल भारत को ईवी निर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगी, बल्कि वैश्विक कंपनियों को भी भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
कपूर कहते हैं, यह नीति स्थानीय प्रोडक्शन को प्रोत्साहित कर और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर न केवल ईवी की स्वीकार्यता को गति देगी, बल्कि आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम करके आर्थिक विकास को भी मजबूत करेगी।

मनीलाभ डॉट कॉम में एसोसिएट एडिटर। बिजनेस पत्रकारिता में डेढ़ दशक का अनुभव। इससे पहले दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार में बिजनेस बीट कवर कर चुके हैं। जब बिजनेस की खबरें नहीं लिख रहे होते तब शेर और कहानियों पर हाथ आजमा रहे होते हैं।