NCDRC decision: कार का एक्सीडेंट होने पर एयरबैग ना खुलने के 9 साल पुराने मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने कार निर्माता को इस आधार पर राहत दे दी कि एक्सीडेंट के वक्त ड्राइवर ने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी। इससे पहले, महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में कार निर्माता को दोषी मानते हुए उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसे NCDRC ने पलट दिया।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मुंबई की उशात गुलगुले ने पुणे के एक डीलर से होंडा सिविक कार खरीदी थी। यह कार मार्च 2013 में वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई और इसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। गुलगुले को भी गंभीर चोटें आईं। उन्होंने महाराष्ट्र राज्य आयोग में मामला दायर कर आरोप लगाया कि कार गंभीर एक्सीडेंट के बावजूद एयरबैग खोलने में विफल रही और इसका कारण विनिर्माण में दोष है। वहीं, होंडा ने उपभोक्ता आयोग को सूचित किया कि एयरबैग विशिष्ट शर्तें पूरी होने पर खुलते हैं और उपभोक्ता ने सीट बेल्ट नहीं बांधी थी, जो एयरबैग न खुलने का एक कारण था।
महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता आयोग ने किस आधार पर लगाया था होंडा पर जुर्माना?
महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता आयोग ने निष्कर्ष निकाला था कि सीट बेल्ट नहीं पहनने के बावजूद सुरक्षा उपकरण के तौर पर एयरबैग खुल जाना चाहिए था, क्योंकि दुर्घटना बहुत गंभीर थी। आयोग ने कार निर्माता द्वारा एयरबैग में खराबी के कारण वाहनों को वापस बुलाने की मीडिया रिपोर्टों पर भी ध्यान दिया था। आयोग ने कंपनी को आदेश दिया था कि वह जुर्माने के रूप में गुलगुले को 1 लाख रुपए का भुगतान करे।
NCDRC में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता ने वेस्टर्न इंडिया ऑटोमोबाइल एसोसिएशन की रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसमें कहा गया था कि दुर्घटना की प्रकृति को देखते हुए एयरबैग खुल जाना चाहिए था। शिकायतकर्ता ने कार निर्माता द्वारा 2013 और 2015 के बीच दो लाख होंडा सिविक कारों को वापस बुलाने की मीडिया रिपोर्टों का भी हवाला दिया था।
आयोग के फैसले (NCDRC decision) का क्या रहा आधार?
एनसीडीआरसी की सुभाष चंद्रा और साधना शंकर की दो सदस्यीय पीठ ने 4 अप्रैल को पारित अपने आदेश में कहा, “एयरबैग खुलने के लिए सीटबेल्ट को बांधने की आवश्यकता नहीं होने के दावे को किसी भी सबूत द्वारा समर्थित नहीं किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कारों में एयरबैग तभी प्रभावी ढंग से काम करते हैं जब सीटबेल्ट बंधी हो।”
NCDRC ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि वेस्टर्न इंडिया ऑटोमोबाइल एसोसिएशन की रिपोर्ट को “विशेषज्ञ की राय” नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह न तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार “उचित प्रयोगशाला” है और न ही यह एयरबैग न खुलने पर कोई एसेसमेंट प्रदान करता है। एनसीडीआरसी ने कहा, धारा 13(1)(सी) के तहत आवश्यक किसी तकनीकी या विशेषज्ञ की राय के अभाव में, कार में खराबी का राज्य आयोग का निष्कर्ष टिकाऊ नहीं है। एनसीडीआरसी ने इस मामले में कार निर्माता को राहत देते हुए उस पर लगा जुर्माने का आदेश रद्द कर दिया।
मनीलाभ डॉट कॉम में सीनियर कॉपी रॉइटर। बिजनेस पत्रकारिता में तीन साल का अनुभव। मनीलाभ से पहले राजस्थान पत्रिका में बतौर सब एडिटर काम किया। खाली समय में पढ़ना और घूमना पसंद है।