Home Top Story अपनी विरासत को वसीयत के जरिए विवादों से कैसे बचाएं? बता रहे हैं सीए सुधीर हालाखंडी

अपनी विरासत को वसीयत के जरिए विवादों से कैसे बचाएं? बता रहे हैं सीए सुधीर हालाखंडी

अपनी विरासत को वसीयत के जरिए विवादों से कैसे बचाएं? बता रहे हैं सीए सुधीर हालाखंडी

भारत में अभी भी आम आदमी के द्वारा वसीयत (Will) करने की प्रथा बहुत ज्यादा नहीं है। जबकि हर व्यक्ति अपने बाद अपनी विरासत छोड़ कर जाता है क्योंकि जीवन में लगातार किये गए कर्मों का परिणाम होता है कि व्यक्ति के पास मकान, जायदाद, जमा पूँजी इत्यादि होती है। शरीर नश्वर है तो फिर ये सब यहीं छोड़कर जाना है, लेकिन अपने बाद वारिस इस विरासत को लेकर आपसी विवादों में उलझे और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाएं इससे भी बचने का उपाय अपने जीवन काल में ही कर लेना चाहिए। वसीयत इस सबसे बचने का एक कारगर उपाय है। आइए हम जानते हैं कि वसीयत करना क्यों जरूरी है और क्या है विशेष कानूनी बातें जो वसीयत से जुड़ी हैं… 

कई बार व्यक्ति के हालात ऐसे होते हैं या वह व्यक्ति सोचता है कि उसे वसीयत करने की कोई जरूरत ही नहीं हैं। आइये पहले इस स्थिति को एक उदाहरण से देख लें..

रामलाल जी के पास दो मकान हैं और उनके दो बेटे हैं। एक सीधी सी बात लगती है कि एक बेटा एक मकान लेगा और दूसरा बेटा दूसरा। बहुत लोग सोचते हैं कि ऐसे साफ़-सुथरे मामलों में वसीयत की क्या ज़रूरत है? लेकिन यहीं से शुरू होती है असली कहानी।”.

बिना वसीयत के सवाल उठता है, कौन-सा बेटा कौन-सा मकान लेगा? और यह वही सवाल है जो परिवारों में दरार पैदा कर देता है। अगर एक मकान शहर के बीच में है और दूसरा थोड़ा बाहर तो दोनों बेटों को वही मकान चाहिए जो ज्यादा बेहतर हो। इसके अतिरिक्त अगर एक मकान किराए पर है और दूसरा खाली है तो फिर विवाद तय है। अगर किसी बेटे ने एक मकान की देखभाल ज़्यादा की है तो वो खुद को उस मकान का असली हकदार मानता है। यानी मकान दो हैं, बेटे दो हैं, लेकिन उम्मीदें और भावनाएं एक सी नहीं होतीं।

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विवाद से बचने का एकमात्र तरीका है, वसीयत। वसीयत एक ऐसा दस्तावेज़ है जो संपत्ति को लेकर स्पष्टता देता है। यह बताता है कि किस पुत्र को कौन-सा मकान मिलेगा, कब मिलेगा और किस शर्त पर मिलेगा। अगर एक मकान दूसरे से बेहतर है तो फिर जिस पुत्र को वह मकान मिल रहा है तो दूसरे पुत्र को वसीयत में उससे थोड़ी ज्यादा अन्य सम्पत्ति दी जा सकती है। अपने जीवन काल में तो यह सब आपके अपने हाथ में है। यह न सिर्फ कानूनी रूप से सही रास्ता है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को भी बचाने वाला कदम है।

वसीयत ना होने पर होता क्या है? भाईयों में मुकदमेबाज़ी, रिश्तों में खटास, कोर्ट-कचहरी के चक्कर, ज़िंदगी भर की कमाई का बंटवारा विवादों में। वसीयत केवल संपत्ति का दस्तावेज़ नहीं होती, यह परिवार की शांति, आपसी समझ और भविष्य की सुरक्षा का प्रतीक होती है। रामलाल जी अगर पहले से वसीयत बना देते हैं, तो उनके बाद उनके बेटों के बीच कोई भ्रम नहीं रहेगा और न ही कोई संघर्ष क्योंकि मकान बांटने से ज़्यादा ज़रूरी है, दिल और रिश्ते ना बंटे।  

वसीयत करने के क्या फायदे हैं?

  1. परिवार में विवाद से बचाव: वसीयत यह तय कर देती है कि आपकी संपत्ति किसे, कैसे और कितनी मिलेगी। इससे उत्तराधिकारियों के बीच भ्रम या विवाद की गुंजाइश नहीं रहती।
  1. इच्छानुसार संपत्ति का बंटवारा: वसीयत आपको यह अधिकार देती है कि आप अपनी मेहनत की कमाई को अपनी इच्छानुसार बांट सकें। किसी विशेष संतान को अधिक देना, किसी को विशिष्ट संपत्ति देना, या किसी संस्था को दान करना।
  1. कमज़ोर सदस्यों की सुरक्षा: वसीयत के ज़रिए आप उन परिवारजनों की रक्षा कर सकते हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर या विशेष देखभाल की ज़रूरत में हैं, जैसे कि विकलांग संतान या अविवाहित बेटी।
  1. लीगल स्पष्टता और टैक्स प्लानिंग: एक विधिवत वसीयत कानूनी रूप से मजबूत दस्तावेज़ होता है जो संपत्ति के बंटवारे में स्पष्टता लाता है और Tax Planning में भी मदद कर सकता है।
  1. अचल संपत्ति की सीधी ट्रांसफर प्रक्रिया: अगर वसीयत मौजूद है, तो प्रॉपर्टी की ट्रांसफर प्रक्रिया (mutation) सरल और त्वरित हो जाती है। वारिसों को संपत्ति के मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ते।
  1. बुज़ुर्गों के आत्मविश्वास में वृद्धि: वसीयत करके एक व्यक्ति को यह सुकून मिलता है कि उसके बाद उसका परिवार बिखरेगा नहीं, बल्कि स्पष्ट दिशा में आगे बढ़ेगा। यह भावनात्मक शांति और आत्मसंतोष देता है।
  1. बिजनेस या व्यापार में उत्तराधिकार की स्पष्टता: अगर आपकी संपत्ति में बिजनेस शामिल है, तो वसीयत के ज़रिए आप यह तय कर सकते हैं कि व्यापार को कौन संभालेगा, जिससे व्यवसाय में निरंतरता बनी रहे।
  1. कानूनी सुरक्षा और बचाव: वसीयत एक कानूनी सुरक्षा कवच है जो संपत्ति को गलत हाथों में जाने से रोकती है और अदालत में आपकी इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करती है।

आम लोगों के मन में वसीयत से जुड़े सवाल और उनके जवाब 

वसीयत क्या होती है?

वसीयत एक कानूनी दस्तावेज़ है जिसमें व्यक्ति यह लिखता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा कैसे और किसे किया जाए।

क्या वसीयत करना अनिवार्य है?

वसीयत करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन बहुत ही लाभदायक है। यह आपके उत्तराधिकारियों को विवादों से बचाता है और संपत्ति के वितरण में स्पष्टता लाता है।

वसीयत कब बनानी चाहिए?

वसीयत कभी भी बनाई जा सकती है जब व्यक्ति मानसिक रूप से सक्षम हो। बेहतर है कि इसे समय रहते बना लिया जाए, विशेषकर जब आपके पास संपत्ति हो या परिवार की ज़िम्मेदारियां हों।

वसीयत में क्या-क्या लिखा जा सकता है?

चल-अचल संपत्ति का विवरण, किसे कौन-सी संपत्ति मिलेगी, शेष निर्देश (जैसे कि संपत्ति कब और कैसे ट्रांसफर हो), किसी सदस्य या संस्था को दान, गार्जियन की नियुक्ति यदि कोई नाबालिग उत्तराधिकारी हो।

क्या वसीयत को रजिस्टर्ड कराना ज़रूरी है?

नहीं, वसीयत को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह कानूनी रूप से मजबूत और सुरक्षित बन जाती है अगर रजिस्टर्ड हो।

क्या वसीयत को कभी भी बदला जा सकता है?

हाँ, जब तक व्यक्ति जीवित है, वह वसीयत को जितनी बार चाहे, बदल सकता है या रद्द कर सकता है।

वसीयत ना होने पर संपत्ति का क्या होता है? 

वसीयत न होने पर संपत्ति का बंटवारा ‘उत्तराधिकार कानून’ के अनुसार होता है, जो सभी मामलों में व्यावहारिक या समान नहीं हो सकता, और इससे विवाद की संभावना रहती है।

वसीयत के लिए गवाह कितने ज़रूरी हैं?

वसीयत में कम से कम दो स्वतंत्र गवाहों का हस्ताक्षर होना ज़रूरी है, जिन्होंने आपकी उपस्थिति में वसीयत पढ़ी और देखी हो।

क्या कोई मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति वसीयत बना सकता है?

नहीं, वसीयत वैध तभी मानी जाती है जब बनाने वाला मानसिक रूप से सक्षम हो और यह जानता हो कि वह क्या कर रहा है।

वसीयत में क्या केवल बेटे का नाम लिखा जा सकता है?

आप अपनी इच्छानुसार किसी को भी अपनी संपत्ति दे सकते हैं, बेटा, बेटी, पत्नी, संस्था, दोस्त आदि। कानून में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है।

एक और बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल अक्सर पूछा जाता है कि क्या वसीयत बनाने के लिए किसी विशेषज्ञ  की सहायता लेना  अनिवार्य है? तो आप ध्यान रखें कि वसीयत बनाने के लिए किसी वकील या सीए की सहायता अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में इनकी विशेषज्ञ सलाह लेना लाभदायक हो सकता है। 

वसीयत बनाने में विशेषज्ञ की सहायता कब ली जानी चाहिए?

जब आपकी संपत्ति बड़ी, जटिल या कई जगहों पर फैली हो, जब परिवार में संभावित विवाद की संभावना हो, जब वसीयत में कोई ट्रस्ट, बिज़नेस या विशेष शर्तें जोड़ी जा रही हों और जब आप चाहते हैं कि वसीयत कानूनी दृष्टिकोण से मजबूत और विवाद से परे हो।

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