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हेल्थ इंश्योरेंस में मासिक प्रीमियम में यह बड़ा झोल, इसे जान आप भी कर लेंगे तौबा

बीते कुछ वर्षों में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में अच्छा खासा इजाफा हुआ है, 18% जीएसटी इसे और महंगा बना देता है

नई दिल्ली। बीते कुछ वर्षों में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। ऊपर से इस पर लगने वाला 18% जीएसटी इसे और महंगा बना देता है। ऐसे में बीमा कंपनियों की ओर से की जाने वाली मासिक प्रीमियम की पेशकश बीमा धारकों के लिए एक राहत साबित हुई थी। हालांकि, इससे जुड़ा एक पेंच अब सामने आने लगा है, जिसे जानकर ज्यादातर लोग मासिक प्रीमियम से तौबा कर सकते हैं।

जानकारी के अनुसार, ऐसे लोग जो अपने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान मासिक ईएमआई के माध्यम से कर रहे हैं और कोई क्लेम प्रस्तुत करते हैं, तो बीमा कंपनी आपके दावे की निपटान राशि में से पहले शेष ईएमआई राशि काट लेगी। उदाहरण के लिए यदि सालाना प्रीमियम की राशि 30 हजार रुपए है और आप हर महीने 2500 से 2600 रुपए के बीच प्रीमियम जमा कर रहे हैं। पॉलिसी के दूसरे महीने में 50 हजार रुपए का क्लेम करने पर बीमा कंपनी इस राशि में से 10 महीनों की शेष प्रीमियम राशि काट लेगी, जो कि तकरीबन 25 हजार रुपए होंगे। यानी आपको 50 हजार रुपए का क्लेम स्वीकृत होने के बाद भी सिर्फ 25 हजार रुपए की राशि मिलेगी। हम में से ज्यादातर लोगाें को शायद ही हेल्थ इंश्योरेंस के मासिक प्रीमियम से जुड़े इस पेंच की जानकारी होती है। 

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बेहतर होगा क्रेडिट कार्ड से एकमुश्त प्रीमियम भर, उसे 12 महीने की ईएमआई में बदल दें

ऐसे में बेहतर यही होगा कि जहां तक संभव हो हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम सालाना आधार पर ही चुकाएं। यदि आप एक साथ भुगतान नहीं कर सकते हो क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें। क्रेडिट कार्ड से एक मुश्त प्रीमियम भुगतान करके इस राशि को आप 12 महीने की ईएमआई में कन्वर्ट कर लें। इसमें आपको हाे सकता है कि कुछ सौ रुपए ज्यादा चुकाने पड़ें, लेकिन क्लेम के वक्त पूरा पैसा आपको मिल सकेगा।

हालांकि, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पॉलिसी लेते समय अगर आप कोई जानकारी छिपाते हैं तो बीमा कंपनी भविष्य में गलत जानकारी के आधार पर आपका दावा खारिज कर सकती है। यदि आप ऐसे किसी भी दावे की अस्वीकृति से बचना चाहते हैं, तो आपको अपनी पूर्व-मौजूदा स्थितियों और अन्य सभी विवरणों का ईमानदारी से खुलासा करना चाहिए। 

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