अपने पिता से पूछिए कि जब उन्होंने कमाना शुरू किया तो सबसे पहला निवेश क्या था। पूरी संभावना है कि उनका जवाब होगा ‘जीवन बीमा की एक एंडावमेंट पॉलिसी’। यह पॉलिसी उन्हें एक बीमा एजेंट ने बेची होगी, जो या तो कोई रिश्तेदार होगा या फैमिली फ्रेंड होगा। यह एक ऐसी गलती है, जिसे आपके पिता के दौर के ज्यादातर भारतीयों ने की है। परंपरागत जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने को हम आखिर गलती क्यों कह रहे हैं।
निवेश और जीवन बीमा पॉलिसी दोनों का अलग-अलग वित्तीय लक्ष्य होता है। निवेश का उद्देश्य पूंजी पर अच्छा रिटर्न हासिल करना होता है। जबकि जीवन बीमा का उद्देश्य असामियक मौत पर परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना होता है। लेकिन परंपरागत बीमा उत्पाद दोनों उद्देश्यों को आपस में मिला देते हैं और एक भी उद्देश्य को सही से पूरा नहीं करते।
पारंपरिक बीमा योजना में जीवन कवर आमतौर पर वार्षिक प्रीमियम का 10 गुना होता है। यानी आप सालाना 3 लाख रुपए का प्रीमियम भरेंगे तो भी जीवन बीमा कवर सिर्फ 30 लाख रुपए होगा। इतना जीवन कवर परिवार के वित्तीय जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
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वहीं, इन परंपरागत बीमा उत्पादों का रिटर्न भी बेहद कम होता है। इनकी संरचना इतनी अपारदर्शी होती है कि आपको ये पता ही नहीं चलता कि कितना पैसा एजेंट को कमीशन में गया, कितना जोखिम कवर में गया, कितना निवेश में गया और कितना बीमा कंपनी के जेब में गया।
दरअसल, पिछले कई दशकों से ये पारंपरिक बीमा उत्पाद एजेंटों के माध्यम से रिश्तों के इमोशन के आधार पर बेचे जा रहे हैं। मोटे कमीशन के लिए बीमा एजेंटों की फौज इन्हें बेचती है और वित्तीय साक्षरता की कमी के चलते हम इसके शिकार होते हैं।
टर्म इंश्योरेंस है सबसे अच्छा जीवन बीमा विकल्प
जीवन बीमा में सबसे अच्छा प्रोडक्ट टर्म इंश्योरेंस है। इसमें आपको अपने सालाना प्रीमियम का 1000 गुना तक कवर मिल जाता है। यानी दो करोड़ का कवर 20 हजार रुपए सालाना प्रीमियम पर (30 वर्ष के नॉन-स्मोकिंग पुरुष के लिए) मिल सकता है। बाकी पैसे जिन्हें निवेश करना है, उन्हें अब अधिक रिटर्न देने वाले उत्पादों जैसे म्यूचुअल फंड आदि में निवेश कर सकते हैं।
लेखक फाइनेंशियल प्लानिंग अकादमी के को-फाउंडर और सीईओ हैं।