बीते कुछ समय से शेयर मार्केट में जबर्दस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट म्यूचुअल फंड निवेशकों को एसआईपी (SIP) के साथ एसटीपी (STP) करने की सलाह दे रहे हैं। एसआईपी के बारे में तो हम सब जानते हैं, लेकिन ये एसटीपी आखिर क्या बला है? आइए इसके बारे में जानते हैं…
STP का फुल फॉर्म है, सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान। इसके जरिए एक फंड में जमा धनराशि को एकमुश्त ट्रांसफर करने के बजाय किसी दूसरे फंड में नियमित (हर हफ्ते, महीने, तिमाही) अंतराल पर दूसरे फंड में ट्रांसफर किया जाता है। STP के जरिए किसी एक फंड में जमा रकम को एक से ज्यादा फंड में भी ट्रांसफर कर सकते हैं। जिस फंड में एकमुश्त रकम जमा होती है उसे सोर्स फंड और जिसमें ट्रांसफर किया जाता है उसे टारगेट या डेस्टिनेशन फंड कहते हैं।
इस रणनीति को अपनाने से बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान रिस्क की एवरेजिंग हो जाती है और निवेशकों को कम से कम नुकसान उठाना पड़ता है। बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के दौर में निवेश पर जोखिम को कम से कम करते हुए बेहतर रिटर्न हासिल करने की भी यह एक अच्छी रणनीति है।
STP का फायदा कैसे उठाएं?
अगर आपके पास एकमुश्त नगद रकम है लेकिन आप मार्केट में उतार-चढ़ाव की आशंका को देखते इक्विटी या इक्विटी फंड में निवेश नहीं करना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में आप डेट फंड (लिक्विड या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड) में एकमुश्त निवेश कर सकते हैं। फिर इस रकम को STPके जरिए नियमित अंतराल में इक्विटी फंड में ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे दोहरा फायदा यह होगा कि डेट फंड का रिटर्न तो मिलेगा ही, जो आम तौर पर सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज से ज्यादा होता है। इसके अलावा एसआईपी की तरह नियमित रूप से इक्विटी फंड में निवेश भी होता जाएगा।
STP से होती है परचेजिंक कॉस्ट की एवरेजिंग
एक फंड में जमा रकम को एसटीपी के जरिए दूसरे फंड में ट्रांसफर करने पर परचेजिंग कॉस्ट की एवरेजिंग का फायदा मिलता है। यानी मार्केट में गिरावट होगी तो एकसमान ट्रांसफर की राशि पर पर ज्यादा यूनिट मिलेंगे। वहीं तेजी के दौर में कम यूनिट ट्रांसफर होंगे। इस तरह से एसटीपी के जरिए पोर्टफोलियो की रीबैलेंसिंग भी हो जाती है।
STP पर टैक्स के नियम
STP में सोर्स फंड से टारगेट फंड में ट्रांसफर को रिडम्प्शन माना जाएगा। इस पर होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स लगेगा। टारगेट फंड में जमा रकम को रिडीम करने पर उसके होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स देना होगा। सोर्स और टारगेट फंड पर टैक्स के वही नियम हैं जो रिडम्प्शन के समय डेट और इक्विटी फंड के लिए होते हैं।
मनीलाभ डॉट कॉम में एसोसिएट एडिटर। बिजनेस पत्रकारिता में डेढ़ दशक का अनुभव। इससे पहले दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार में बिजनेस बीट कवर कर चुके हैं। जब बिजनेस की खबरें नहीं लिख रहे होते तब शेर और कहानियों पर हाथ आजमा रहे होते हैं।