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पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कह दी ये बड़ी बात

नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाने की मांग देश में लंबे समय से चल रही है। शनिवार को जीएसटी काउंसिल की 53वीं मीटिंग (GST council 53rd meeting) के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इसे लेकर सवाल उठा। इसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार इसके लिए तैयार है। जीएसटी कानून में पहले से इसका प्रावधान है। लेकिन पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का निर्णय राज्यों को करना है। 

बता दें, फिलहाल पेट्रोल और डीजल दोनों जीएसटी से बाहर हैं और केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें दोनों ही इन पर भारी टैक्स लगाती हैं। दिल्ली का उदाहरण लें तो राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल का बेस मूल्य 55.46 रुपए प्रति लीटर है। लेकिन केंद्र सरकार इस पर 19.90 रुपए/लीटर एक्साइज और राज्य सरकार 15.39 रुपए/लीटर वैट लगाती है। यानी एक लीटर पेट्रोल पर कुल 35.29 रुपए टैक्स लगता है तो प्रतिशत में 63.63% बनता है। यह जीएसटी के उच्चतम स्तर 28% के दोगुने से भी अधिक है।   

पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर निर्मला सीतारमण ने क्या कहा? 

वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा कि जब जीएसटी लागू हुआ था, तब भी मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बारे में बात की थी। इसका प्रावधान पहले से ही अधिनियम में मौजूद है। इसका अर्थ है कि जीएसटी में पेट्रोल और डीजल को शामिल किया जा सकता है और इसके लिए कानून पहले से ही अंतर्निहित है। 

वित्त मंत्री ने कहा कि जो काम लंबित है, वह यह है कि राज्य इसे लेकर सहमत हो जाएं और यह तय कर लें कि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की दर क्या होगी। एक बार जबयह निर्णय हो जाता है, तो इसे अधिनियम में डाल दिया जाएगा।


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वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार का संकेत या इरादा यह था कि अंततः पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाया जा सकता है। इसलिए यह प्रावधान पहले ही कर दिया गया है कि इसे जीएसटी में लाया जा सकता है। इसलिए एकमात्र निर्णय जो अपेक्षित है वह यह है कि राज्य सहमत हों और जीएसटी परिषद में आएं और फिर तय करें कि वे किस दर पर सहमत होंगे। हम चाहते हैं कि जीएसटी में पेट्रोल और डीजल शामिल हो, लेकिन यह राज्यों पर निर्भर है।

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