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CGST की धारा 73 के तहत साल 2017 से 2020 तक ब्याज और जुमार्ने से मिली छूट, बस पूरी करनी होगी ये शर्त

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल ने कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। काउंसिल ने वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए CGST की धारा 73 (Section 73 of GST) के तहत जारी डिमांड नोटिस के लिए ब्याज और जुर्माने को माफ कर दिया है। इस शर्त ये है कि करदाताओं को 31 मार्च 2025 तक नोटिस में मांगी गए कर की मूल राशि का भुगतान करना होगा। 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 से वित्त वर्ष 2019-20 के लिए धारा 73 के तहत उठाई गई मांगों से संबंधित ब्याज या जुर्माना या दोनों की सशर्त छूट प्रदान करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम में धारा 128ए को शामिल किया गया है। जीएसटी के कार्यान्वयन के शुरुआती वर्षों के दौरान करदाताओं को हुई कठिनाइयों पर विचार करते हुए जीएसटी परिषद ने यह कदम उठाया है। इसमें शर्त जोड़ी गई है कि करदाताओं को 31 मार्च तक नोटिस में मांगे गए कर की पूरी राशि का भुगतान करना होगा है।


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क्या है CGST की धारा-73?

CGST की धारा 73 के तहत तब डिमांड नोटिस जारी किया जाता है, जब टैक्स ऑफिसर को ऐसा लगता है कि करदाता ने टैक्स का भुगतान नहीं किया है, या कम टैक्स चुकाया है या गलत रिफंड लिया गया है या गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया गया है। हालांकि, यह धोखाधड़ी से नहीं बल्कि अनजाने में हुआ है। 

चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी कहते हैं, ईमानदार करदाताओं के लिए यह बड़ी राहत है, लेकिन जीएसटी विभाग आमतौर पर 95% नोटिस धारा-74 के तहत जारी करता है। धारा 74 के तहत नोटिस तब जारी किए जाते हैं, जब टैक्स अधिकारी को लगता है कि करदाता ने धोखाधड़ी के जरि कम टैक्स का भुगतान किया है या ज्यादा इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लिया है। 

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