Home Top Story Inheritance law: नॉमिनी बनाना ही काफी नहीं, जानिए उत्तराधिकार का हक पाने के लिए क्या जरूरी है

Inheritance law: नॉमिनी बनाना ही काफी नहीं, जानिए उत्तराधिकार का हक पाने के लिए क्या जरूरी है

Inheritance law: नॉमिनी बनाना ही काफी नहीं, जानिए उत्तराधिकार का हक पाने के लिए क्या जरूरी है

Inheritance law: हम अपने बैंक खाते, डीमैट अकाउंट, म्यूचुअल फंड और बीमा पॉलिसी में नॉमिनी (nominee) नियुक्त करते हैं। हम अकसर उसे नॉमिनी बनाते हैं, जिसे हम हमारी गैर-मौजूदगी में वह संपत्ति सौंपना चाहते हैं। हमें ऐसा लगता है कि नॉमिनी घोषित कर देने से व्यक्ति की मौत के बाद उस संपत्ति पर नॉमिनी का पूरा अधिकार हो जाएगा, लेकिन कानूनन में ऐसा होता नहीं है। 

नॉमिनी का काम तो सिर्फ बैंक, शेयर ब्रोकर, म्यूचुअल फंड और बीमा से पैसा लेना है और उसे मृत व्यक्ति के कानूनी वारिसों तक पहुंचाना है। वसीयत की गैर-मौजूदगी में हिन्दू, जैन, सिख और बौद्ध परिवारों में इस पैसे का बंटवारा हिन्दू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act) के तहत होता है। इस पर विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। 

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अपनी इच्छा के अनुसार अपनी सम्पति को मृत्यु के बाद बांटने का सबसे सही तरीका वसीयत (will) लिखना होता है। इसमें इंसान अपने जीवनकाल में ही यह लिख देता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति किस तरह से और किसे (legal heir) मिलेगी।

नॉमनी (nominee) बनाने के साथ वसीयत में भी घोषित करना जरूरी

अगर आप अपने बैंक खाते, डीमैट, म्यूचुअल फंड और बीमा पॉलिसी के नॉमिनी को ही वह राशि देना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि एक वसीयत लिखें और उसमें इन निवेश का जिक्र कर उक्त नॉमिनी को उस संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित कर दें। अन्यथा उस धनराशि का मालिकाना हक़ नामिनी को आपकी मृत्यु के बाद भी हस्तांतरित नहीं होगा और आपके वारिसों का अधिकार उस पर बना रहेगा। 

निधन के बाद उत्तराधिकारियों के बीच विवाद को खत्म करवाने के लिए भी वसीयत जरूरी है। हर वयस्क व्यक्ति के पास एक स्पष्ट वसीयत होनी चाहिए, ताकि उसकी मृत्यु के बाद उसके वारिसों में किसी भी प्रकार का विवाद नहीं रहे। बिना वसीयत यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो फिर इस सम्बन्ध में कानून होते हुए भी उसकी विरासत का बंटवारा विवादरहित नहीं रहता है। 

Inheritance law: वसीयत क्यों जरूरी है?

इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। मान लीजिये किसी व्यक्ति के दो पुत्र हैं और उस व्यक्ति के पास दो मकान है, तो यह तय है कि दोनों पुत्रों को एक-एक मकान मिल जाएगा। इसलिए आम सोच यह है कि ऐसे में वसीयत की जरूरत क्यों है। लेकिन उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद कौन सा मकान किस पुत्र को मिलेगा इस पर भी विवाद हो सकता है और होता ही है। इसके साथ ही कौन से जेवर किसको मिलेंगे, कौनसे शेयर और फिक्स्ड डिपाजिट किसको मिलना है ये बंटवारा कैसे होगा? इसलिए अपनी विरासत को भविष्य के किसी भी झगड़े और विवाद से बचाने के लिए वसीयत बनाना जरूरी है।

Intestate succession: बिना वसीयत मौत पर कैसे होता है उत्तराधिकारियों में संपत्ति का बंटवारा?

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